धमतरी में छिपली आदर्श गौठान में वर्मी के साथ सब्जी, कुक्कुट उत्पादन से लाभ अर्जित कर रहीं महिलाएं
आर्थिक स्वावलम्बन का बेहतर प्लेटफॉर्म साबित हुआ गौठान, विविध उत्पादों से समूह को हो रही अप्रत्याशित आय
पॉजिटिव इंडिया: धमतरी;10 अगस्त 2021
आज से दो साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं रहा होगा कि लोगों के लिए गौठान आय का एक ठोस, बेहतर और ऐतिहासिक विकल्प साबित होगा। छत्तीसगढ़ की पुरातन परम्पराओं को सहेजने के साथ-साथ आय सृजित करने के लिए राज्य सरकार ने सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम का आगाज किया। इसी तरह 20 जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना का शुभारम्भ किया गया, जिसके माध्यम से समूहों को गौठानों से जोड़कर वर्मी खाद एवं जैविक खाद के अलावा बहुआयामी सृजनात्मक कार्यों एवं गतिविधियों को अंजाम देने का कार्य किया जा रहा है। जिले के नगरी विकासखण्ड के ग्राम छिपली में ऐसा ही एक गौठान है जिससे जुड़कर महिलाओं ने न सिर्फ वर्मी खाद उत्पादित किया, अपितु सब्जी उत्पादन, दलहन, जैविक कीटनाशक दवाई सहित कुक्कुट उत्पादन करके अब तक लगभग दो लाख की आय अर्जित कर ली, जो कि अपने आप में एक मिसाल है।
नगरी के ग्राम छिपली में स्वावलम्बी महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं न सिर्फ वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर रही हैं, बल्कि गोबर से निर्मित राखियां, दीए, लक्ष्मी चरणपादुका, गणेश जी की मूर्ति सहित ओम व स्वास्तिक की प्रतीकात्मक आकृति वाली आकर्षक सामग्रियां बनाई गईं। स्वावलम्बी महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती दुर्गेशनंदिनी साहू ने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत शासन द्वारा ग्राम छिपली में 14 एकड़ में गौठान तैयार किया गया। यहां पर उनके समूह की 10 महिलाएं मिलकर वर्मी खाद का उत्पादन किया। इन दोनों समूहों के द्वारा अब तक 50 हजार रूपए की वर्मी खाद, 50 हजार रूपए के गोबर से निर्मित उत्पाद तथा 98 हजार रूपए की सब्जीवर्गीय फसलें लेकर कुल एक लाख 98 हजार रूपए का मुनाफा कमाया। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के मार्गदर्शन में योजना की शुरूआत से अब तक उक्त समूह ने लगभग 25 हजार किलो की वर्मी खाद तैयार कर उसका विक्रय किया। वर्मी खाद से अर्जित आय का उपयोग करते हुए समूह की महिलाओं ने बहुआयामी उत्पादों को अंजाम देने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त कर गत वर्ष गोबर से निर्मित राखियां, देवताओं की मूर्ति और प्रतीक चिन्ह तैयार कर बेचे गए।