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फिल्मों द्वारा मुस्लिम को अच्छा और हिन्दू को बुरा प्रोजेक्ट करने का वामपंथी षड्यंत्र

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Positive India:Sujit Tiwari:
2007 में एक फिल्म आई थी – “चक दे इण्डिया” जिसके नायक थे ‘शाहरुख खान’। फ़िल्म में उनका नाम था ‘कबीर खान’ और हॉकी कोच बने थे। यह एक सच्ची घटना पर फिल्मायी गई फ़िल्म थी। पूरी फिल्म में इसे “मुस्लिम” होने के कारण प्रताड़ित होते तथा देशभक्त बनते हुए दिखाया गया था। कुछ तथ्यों पर आपका ध्यान न गया होगा कि जिस वास्तविक पात्र पर यह फ़िल्म बनी है, वह हॉकी के खिलाड़ी श्री “मीर रंजन नेगी” जी हैं जो कि “हिन्दू” हैं। अब प्रश्न यह है कि इस पात्र को फ़िल्म में हिन्दू ही क्यों नहीं रहने दिया गया?
दूसरा उदाहरण, फ़िल्म ‘छपाक’ को लेकर है जो 2020 में रिलीज़ हुई थी ; यह फ़िल्म भी एक सत्य घटना (दुर्घटना) पर फिल्मायी गई है जो लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है। असल दुर्घटना में लक्ष्मी के ऊपर एसिड फेंकने वाले अपराधी का नाम “नईम खान” है जिसे फ़िल्म में बदल कर “राजेश” कर दिया गया है। फिर से प्रश्न वही है कि इस कुपात्र को फ़िल्म में मुस्लिम व्यक्ति ही क्यों नहीं रहने दिया गया?
मुस्लिम को अच्छा और हिन्दू को बुरा प्रोजेक्ट करने का ये जो वर्षों से नैरेटिव का खेल इतिहास तथा फिल्मों के माध्यम से वामपंथी खेल रहे हैं ना ये एक सोचे समझे षड्यन्त्र के अंतर्गत कर रहे हैं। निर्णय अब आपके और हमारे हाथ में है इस सोच को सबक सिखाने का।
साभार:सुजीत तिवारी-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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