26 जनवरी को बख्तरबंद ट्रैक्टर मार्च के द्वारा दुनिया मे भारत को बदनाम करने के गहरी साजिश
Positive India:Ajit Singh:
दिल्ली पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस करके २६ जनवरी को किसानो के पीछे छिपे पाक प्रयोजित खालिस्तानी जीवों द्वारा की जाने वाली असल साजिश की तरफ साफ साफ इशारा कर दिया……कि वास्तव मे आंदोलन के बहाने इसमे छिपे देशद्रोही तत्व अब ट्रैक्टर मार्च के बहाने करना क्या चाहते हैं….!!!
खैर राष्ट्र प्रहरी पूरी तरह सजग और सचेत हैं…फिर भी विरोधियों द्वारा प्रयोजित किसी भी भ्रामक,असत्य,बरगलाने वाले बयानो तथा समाचारों से देश के राष्ट्रवादी जनमानस को भी सावधान रहना होगा….!
सोचिये……..आखिर केंद्र सरकार ने जब कई बैठकों के जरिये किसान कानून मे नरम रूख अपनाते हुये, उसमे आवश्यक संशोधन करने के साथ साथ कानून को डेढ़ साल के लिये स्थगित करने पर तैयार हो गई तो क्यों आंदोलन के नाम पर धरना देने वाले ये लोग इस कानून को रद्द करने पर अड़े पड़े है….?
क्यों २६ जनवरी को ही ट्रैक्टर परेड करने की जिद्द पकड़े हैं…?
बताइये..??
दरअसल सच्चाई तो यह है कि कानून को रद्द करने की जिद पालने वाले किसान है ही नही..वो नही चाहते है कि किसान और सरकार मे कोई समझौता हो…………किसान का मुखौटा लगाये कांगी,आपिये,वामिये और वो जेहादी टट्टू हैं,जिनकी डोर अर्बन नक्सलियों के साथ सत्ता वापस पाने के लिये कुछ भी कर गुजरने को बेचैन फिरंगन के हाथ मे है……और किसान आंदोलन के नाम पर देश मे आग लगाने को आतुर इन जेहादियों,फिरंगन,नक्सलियों की असल नकेल विदेशी ताकतो के हाथ मे है…जहां से इन्हे आदेश,निर्देश के साथ जम कर फंडिंग हो रही है….एकदम शाहीन बाग की तरह…!!
किसान आंदोलन के नाम पर आतंकी भिंडरवाले और देश के विरूद्ध साजिश रचने वाले अर्बन नक्सलियों की फोटो टांग कर धरना देने वालों के पीछे छिपे तत्वों का मिशन ही आग लगाने का है…लेकिन दो महीने बीत चुके हैं और मोदी है कि न लाठी चला रहें है…न गोली चला रहे हैं..न ही कुछ बोल रहे हैं………पूरा मिशन फेल होते दिखने के बाद…..जब योगेश नामक लफंडू जैसी रची जाने वाली छोटी छोटी साजिशे फेल होने लगी तो २६ जनवरी को ट्रैक्टर मार्च करने के बहाने फाईनल एक्शन पर उतरने का षडयंत्र रचा गया है…जहां इस कथित आंदोलन को अंतिम परिणाम तक पहुंचाने के लिये पता चल रहा है कि कनाडा,चीन से लेकर खाड़ी तक से जबरदस्त फंडिंग हो रही है…वहीं यह पकड़ मे आ चुका है कि फर्जी हिंदू नाम रख कर पाकिस्तान के सैकड़ो ट्विटर हैंडल के माध्यम से वैमनस्यता फैलाने के साथ आग लगाने का काम किया जा रहा है…जिसे दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेन्सियां मिल कर ISI की इन कुटिल साजिशों को नाकाम करने मे जुटी हैं…..!
दरअसल किसानो के नाम पर इकट्ठी भीड़ के बीच मे वेश बदल कर बैठे नक्सली,खालिस्तानी और जेहादी तत्वों का मकसद 26 जनवरी को भसड़ मचा कर दुनिया मे भारत को बदनाम करने के साथ मोदी सरकार को विफल साबित करना है..भले ही आज दिल्ली पुलिस कह रही है कि इन पर पूरी निगाह रखेगी…हर रूट पर नजर रखेगी……….लेकिन मेरा मानना है कि किसानो के बीच पैठ जमा कर पूरे आंदोलन को हाईजैक कर चुके अराजक तत्व बिना उत्पात किये मानेगे नही….उपद्रव करने पर सरकार इन्हें रोकेगी………..ये मानेगे नही….लाठी चार्ज होगा,गोली भी चल सकती है…यही तो ये चाहते हैं..यही इनका मूल उद्देश्य है…..फिर ये और इनको नचाने वाले मदारी तथा मीडिया के भांड देश से लेकर विदेश तक शोर मचा कर सियापा करेंगे की भारत मे अन्नदाता किसानो के साथ सिख सुरक्षित नही है…भारत मे आंदोलन की स्वतंत्रता नही है….अभिव्यक्ति की छूट नही है……भारत मे अल्पसंख्यको पर अत्याचार हो रहा है…कुल मिला कर मै समझ रहा हूं कि जबरदस्त रूदाली रूदन की तैयारी है….।
आधुनिक गाड़ियों,मंहगी मोटर साइकिलों,बख्तरबंद ट्रैक्टरों और तिरंगे की जगह कनाडा तथा काल्पनिक खालिस्तान के झंडे लगा कर रैली करने की तैयारी करना,मार्च करना….क्या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे देश और देश की चुनी हुई सरकार पर अर्बन नक्सलियों,जेहादियों,फिरंगन और खालिस्तानियों का संगठित आक्रमण नही है??
साफ साफ युद्ध की चुनौती नही है..??
……..जो किसान आंदोलन के नाम पर सिखों और हिन्दुओं के बीच के अटूट सनातनी रिश्ते के बीच विभाजन का भयानक बीज बोना चाहता है,जिसमे योगेन्द्र यादव,राकेश टिकैत जैसे लालची और दलाल…जो चुनावों मे हुई हार से पैदा अपनी कुंठा के प्रतिशोध के कारण देशविरोधियों के साथ मिल कर लगातार किसान आंदोलन के नाम पर केवल पेट्रोल छिड़क रहे है।
फिलहाल.. ये बिचारे यानी आंदोलन की आड़ मे राष्ट्रविरोधी गठबंधन बना कर दिल्ली के साथ देश मे आग लगाने वाले जंतु नही जानते कि गिरवन के दोनो शेर बहुत गंभीरता के साथ इनकी हर रणनीति पर निगाह बनाये है..ये दोनो भेड़ियों के समूह के हुंआ हुंआ पर तुरंत गुर्राने मे नही बल्कि अपनी रणनीति मे फंसा कर उनका शिकार करने मे विश्वास करते है…न भरोसा हो तो पिछले सात साल मे पाकिस्तान,चीन ही नही…बल्कि फिरंगन,जेहादन,अर्बन नक्सली,जेहादी हरे टिड्ड़ो समेत मिशनरियों की औकात देख लीजिये कि कैसे कलप रहे हैं..कैसे किलस रहे हैं…कैसे बिलबिला रहे है…कैसे बौखला कर अपने आपको खत्म करने वाली विफल चाले चल कर जनता की निगाह से खुद उतरते जा रहे हैं….जबकि इन दोनो ने भीमा कोरेगांव के उत्पात के पीछे छिपे अर्बन नक्सलियों को नंगा कर दिया…..शाहीन बाग आंदोलन के पीछे छिपे PFI के हरे टिड्ड़ो को दाना पानी देने वाले रूट का खतना कर दिया……वर्तमान मे किसानो के नाम पर आंदोलन करके खालिस्तान नाम के सूख चुके विषैले वृक्ष को फिर से खाद पानी देकर मोदी सरकार को अस्थिर करने,उसे नाकारा साबित करने का सपना देखने वाले सिक्ख फॉर जस्टिस (SFJ) नामक रेफरेंडम 20-20 चलाने वाले संगठन के ताबूत के चारो कोनो मे इस बार कायदे से कील ठोंक दिये जाने की सम्भावना है……बहरहाल धैर्य की परीक्षा बहुत हुई मोदी जी…अब ऐसे लोगो का स्थाई इलाज बहुत जरूरी है…क्योंकि आपके समर्थकों मे अधीरो की संख्या बहुतायत है…!!
बाकी मुझे लगता है कि किसान बिल को मोदी सरकार द्वारा डेढ़ साल स्थगित करने के बाद भी आंदोलन करने,बख्तरबंद ट्रैक्टर मार्च करने पर आमादा खालिस्तानियों,वामियों,आपियों और कांगियों संग जेहादियों के रक्तबीजों के पिछवाड़े की सूजन का उपचार करने के लिये सरकार तैयार हो चुकी होगी………अब बेबुनियाद जिद पर अड़े किसान आंदोलन के पेड वर्करों को चाहिये कि वो ट्रैक्टर मार्च के जरिये उत्पात करने की सोच अगर मन मे रखे हैं तो उन्हे बर्नाल खरीदना चाहिये….क्योंकि किसी उत्पात,उपद्रव और अराजकता करने पर गंभीर परिणाम भुगतना ही होगा….यह मै इसलिये कह रहा हूं कि…………..सिंघु बॉर्डर पर जुटे किसानों में ख़ालिस्तानी शामिल हैं..यह कॉग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि उन पर सिंघु बॉर्डर पर हमला करने वाले ख़ालिस्तान का झंडा लिए थे और ख़ालिस्तानी थे,अब राहुल गांधी बताएं कि किसानों को कौन आतंकवादी बता रहा है?
बाकी देश की जनता ही नही बल्कि देश का राष्ट्रभक्त असली किसान भी इन राजनीति के लकड़बग्घों और दल्लों को पहचान चुका है…दो महीने मे ये सब नंगे हो चुके है….अब समय आ गया है कि इन बेशर्म नंगो को कायदे से कुचल कर इनका अंतिम संस्कार कर दिया जाय…..जय राम जी की…!!
(फिलहाल यह 👆👆मेरे अपने विचार हैं,जो गलत भी साबित हो सकते हैं,लेकिन परिस्थितियां जो चीख कर कह रही हैं,उसी को मैने लिखा है)
#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
लेखक:अजीत सिंह(ये लेखक के अपने विचार हैं)