Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
राम मंदिर पर अब लगने लगा है कि तय समय मे फैसला आ जाएगा । पहली बार सर्वोच्च न्यायालय इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है, जो देश के लिए भी अच्छा है । एक तरफ पूरा देश इस कदम का स्वागत कर रहा है तो दूसरे ओर जिनकी राजनीति ही इस मुद्दे पर चल रही थी, तो उनके माथे पर बल पड़ रहे है । वो आज भी यह चाह रहे है कि यह मुद्दा लंबित ही रहे ।
इसलिए आज तक जितनी कानूनी पेचीदगिया है, उसका खुलकर प्रयोग कर रहे थे । इसलिए मामला आगे ही बढ नही पा रहा था । यही कारण है सर्वोच्च न्यायालय ने अपने तरफ से पूरी कोशिश की कि मामला सौहार्द पूर्ण वातावरण मे बाहर ही हल हो जाए । इसके लिए उन्होंने तीन बड़े लोगो का पैनल भी बनाया परन्तु अपने निर्धारित समय सीमा छह माह मे कोई भी ऐसा उल्लेखनीय कार्य नही हो पाया । जिसके चलते पुनः सर्वोच्च न्यायालय को इस पर विराम लगाना पड़ा ।
अंत मे इस मुद्दे को एक बैंच के सुनवाई के लिए भेज दिया गया । इस बैंच ने सुनवाई की तारीख निर्धारित कर एक समय सीमा पर बहस खत्म करने का निर्देश दिया। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सेवानिवृत्त होने के पहले इस पर फैसला देने का पहले से ही मन बना लिया है, जो आगे चलकर देश के लिए एक बहुत बड़ा निर्णय होगा । इसीलिए बीच बीच मे न्यायालय को पक्षकारो को बार बार समय सीमा की याद दिलानी पड़ती है । इसलिए अंत मे न्यायालय ने सबके बहस की समय सीमा तय कर दी है ।
अब यह निश्चित हो गया है कि नवंबर के मध्य मे इस विषय पर फैसला आ जाएगा । पर दुर्भाग्य से उन खेमो मे काफी बेचैनी और घबराहट है, जिनकी पूरी राजनीति ही इस पर निर्भर थी । पर आज यह परिवर्तन दिख रहा है। हर आम आदमी चाह रहा है कि इसका फैसला जल्दी हो, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द्रता बनी रहे । सर्वोच्च न्यायालय ने इस समय जो तत्परता दिखाई है वो काबिले तारीफ है । निश्चित ही इसका फैसला मील का पत्थर साबित होगा । वही कानून की दुनिया मे फैसला देने वाले न्यायाधीश का नाम भी अंकित होगा । अब कुछ ही समय है, राम मंदिर पर दूध का दूध पानी का पानी होजाएगा ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)