दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में व्यापक तौर पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना
अगले 2-3 दिनों के दौरान उत्तर-पूर्व और आसपास के पूर्वी इलाकों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है
पॉजिटिव इंडिया: दिल्ली ;28 जून 2020.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र/ क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, नई दिल्ली ने कहा है:
♦ लगभग 11 डिग्री उत्तरी अक्षांश के साथ-साथ समुद्र तल से 3.1 से 5.8 किमी ऊपर एक पूर्व-पश्चिम शीयर जोन और कर्नाटक तट से लेकर लक्षद्वीप-मालदीव क्षेत्र तक समुद्र तल के ऊपर एक अपटतीय गर्त बन रहा है। इन प्रणालियों के प्रभाव में अगले 4-5 दिनों के दौरान दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में व्यापक से बहुत व्यापक तौर पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
♦ गर्त का रुख उत्तर की ओर होने औरबंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिणी/ दक्षिण-पश्चिम की हवाओं के पूर्वोत्तर एवं आसपास के पूर्वी भारत में मिलने के कारण अगले 2-3 दिनों के दौरान उत्तर-पूर्व और उससे सटे पूर्वी भारत में कुछ जगहों पर भारी से अत्यधिक भारी वर्षा होने के साथ-साथ व्यापक तौर पर वर्षा जारी रहने की संभावना है।अगले 24 घंटों के दौरान उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम और असम एवं मेघालय में भी कुछ जगहों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है।
♦ 28-29 जून के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में और अगले 3-4 दिनों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा के साथ व्यापक तौर पर वर्षा होने की संभावना है।
अखिल भारतीयमौसम का अनुमान
समुद्र तल से मॉनसून गर्त का पश्चिमी हिस्सा अमृतसर, करनाल, बरेली और गोरखपुर से होकर गुजर रहा है और इसका पूर्वी भाग हिमालय की तलहटी के करीब स्थित है।
मध्य पाकिस्तान और आसपास के करीब 1.5 किमी क्षेत्र मेंसमुद्र तल से ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
विदर्भ में उत्तर-पूर्व मध्य प्रदेश से लेकर मराठावाड़ा तक समुद्र तल से 3.1 किमी ऊपर गर्त बना हुआ है।
उत्तर कर्नाटक के आंतरिक भागों और आसपास के क्षेत्रों में समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हआ है।
लगभग 11 डिग्री उत्तरी अक्षांश के आसपास समुद्र तल से 3.1 किमी और 5.8 किमी के दायरे में पूर्व- पश्चिम शीर जोन बना हुआ है।
कर्नाटक तट से लेकर लक्षद्वीप मालदीव क्षेत्र तक समुद्र तल के ऊपर गर्त का बहाव जारी है।
केरल तट पर समुद्र तल से 7.6 किमी ऊपर दक्षिण पूर्व अरब सागर में चक्रवाती परिसंचरण मौजूद है।
पश्चिम मध्य अरब सागर और आसपास के क्षेत्रों में समुद्र तल से 1.5 किमी से 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण का दक्षिण की ओर झुकाव बना हुआ है।