पॉजिटिव इंडिया :माले, दो सितंबर ,
(भाषा) मालदीव में दक्षिण एशिया के स्पीकरों के शिखर सम्मेलन में सोमवार को माले घोषणापत्र को स्वीकार किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से यह माना गया कि कश्मीर भारत का आंतरिक विषय है और इस मुद्दे पर पाकिस्तान के सभी दावों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
मालदीव में दक्षिण एशिया के स्पीकरों के शिखर सम्मेलन में कश्मीर मुद्दा उठाने के पाकिस्तान के प्रयासों को भारत द्वारा विफल किए जाने के एक दिन बाद सोमवार को जिस माले घोषणापत्र को स्वीकार किया गया, उसमें इस मुद्दे पर पाकिस्तान के सभी दावों की अनदेखी की गई।
भारत और पाकिस्तान के बीच इस मुद्दे पर मालदीव की संसद-मजलिस- में सम्मेलन के दौरान तीखी बहस हुई थी। इस सम्मेलन में दक्षिण एशियाई देशों के प्रतिनिधि जुटे थे।
लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया, दक्षिण एशियाई स्पीकरों के सम्मेलन में माले घोषणापत्र को स्वीकार करने के दौरान पाकिस्तानी संसद के प्रतिनिधि द्वारा किये गए सभी दावों की अनदेखी की गई।
घोषणापत्र को अंतिम रूप दिये जाने से पहले सम्मेलन में शामिल होने वाले स्पीकरों ने सोमवार को सम्मेलन के समापन दिवस पर परिणामों पर चर्चा के लिए गोलमेज वार्ता की।
एक सूत्र ने बताया, ‘सम्मेलन में सर्वसम्मति से माना गया कि जम्मू कश्मीर भारत का एक आंतरिक विषय है।’’
सूत्रों ने बताया कि माले घोषणापत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) को भी जगह नहीं मिल सकी।
उन्होंने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मसौदे में कई चीजें जोड़ने और संशोधन का प्रस्ताव किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
नेशनल असेंबली में पाकिस्तान के डिप्टी स्पीकर ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर चर्चा के दौरान कश्मीर मुद्दा उठाने का प्रयास किया था।
उसके बाद भारत ने तुरंत व्यवस्था का प्रश्न उठाया। इसके बाद पीठासीन अधिकारी ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को बोलने देने को कहा, लेकिन पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद शोर-शराबा हुआ।
हरिवंश ने भारत के आंतरिक मुद्दे को उठाने और मंच का राजनीतिकरण करने के लिये पाकिस्तान पर जोरदार हमला बोला।
सूत्रों ने बताया कि माले घोषणापत्र में खाद्य सुरक्षा, पोषण और नौकरियों पर भारत का रुख प्रमुखता से दिखा है।
शिखर बैठक से इतर बिरला ने अपने भूटानी समकक्ष वांगचुक नामग्येल के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका के प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय हित के मामलों पर विस्तार से चर्चा की।
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