देश अब नहीं तब बेचा जा रहा था, धूर्तों बेशर्मों
204 खदानों को कांग्रेस और वामपंथियों ने केवल 7-8 हजार करोड़ में बांट दिया था।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
देश अब नहीं तब बेचा जा रहा था, धूर्तों बेशर्मों…
कल बजट में वित्तमंत्री ने जब सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों के 1.75 लाख करोड़ के विनिवेश की घोषणा की तो उसके बाद कांग्रेसी वामपंथी फौज और उसके पालतू कुत्ते सरीखी उसकी गुलाम लुटियन लॉबी ने देश में अजब गजब शोर शराबा हंगामा और हुड़दंग करते हुए यह झूठ फैलाना शुरू किया कि मोदी देश बेचे दे रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों का 1.75 लाख करोड़ के विनिवेश के सच पर चर्चा इस पोस्ट के अंत में करूंगा। उससे पहले बात उस कांग्रेसी वामपंथी लुटियनिया हंगामे हुड़दंग की जिसके अनुसार मोदी देश बेचे दे रहा है।
उपरोक्त हंगामा हुड़दंग कर रहे धूर्तों को यह याद दिलाना बहुत जरूरी है कि 2015 में इसी मोदी ने केवल 67 कोयला खदानों को नीलाम कर के 3.35 लाख करोड़ रुपये देश के खजाने में जमा किये थे। ये 67 कोयला खदाने उन्हीं 204 कोयला खदानों का ही हिस्सा थीं जिन 204 कोयला खदानों को उसी कांग्रेस और वामपंथियों ने केवल 7-8 हजार करोड़ में अंधे की रेवड़ी की तरह अपने करीबी उद्योगपतियों को बांट दिया था। जी हां जब देश के कोयले की यह बर्बर लूट हुई थी, उस समय वामपंथी उसी यूपीए के सदस्य साथी सहयोगी समर्थक थे जिसकी सरकार कांग्रेस नेतृत्व में चल रही थी। मोदी सरकार द्वारा केवल 67 कोयला खदानों की नीलामी से जमा किये 3.35 लाख करोड़ की राशि बता रही थी कि उन 204 खदानों से 10 लाख करोड़ से अधिक की राशि देश को मिलती जिन 204 खदानों को कांग्रेस और वामपंथियों ने केवल 7-8 हजार करोड़ में बांट दिया था। इसे कहते हैं देश बेच देना। देश बेचने वाला इसकी घोषणा बाकायदा बजट में कर के देश नहीं बेचता।
ठीक इसी तरह 2015-16 में मोदी सरकार ने उन स्पेक्ट्रम का एक हिस्सा नीलाम कर के 1.10 लाख करोड़ देश के खजाने में जमा कराए थे जिन्हें कांग्रेसी यूपीए की सरकार ने केवल 7.5 हजार करोड़ में अपने चहेतों को बांट दिया था। इस वर्ष (2021) जनवरी- फरवरी में स्पेक्ट्रम नीलामी से मोदी सरकार देश के खजाने में लगभग 3.92 लाख करोड़ रुपये जमा कराने जा रही है। केवल 7.5 हजार करोड़ में अपने चहेतों को स्पेक्ट्रम बांटने वाली कांग्रेस को आज यह याद दिलाना, बताना बहुत जरूरी है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी से लगभग 5-6 लाख करोड़ देश के खजाने में जमा करने को देश बेचना नहीं, बल्कि देश बचाना, देश बनाना कहते हैं।
अब रही बात विनिवेश की तो सबसे बड़ा विनिवेश जिस के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा सबसे ज्यादा छाती कूटी जा रही है, वो विनिवेश है एयर इंडिया का है। अतः कांग्रेस को याद दिलाना बहुत जरूरी है कि 2014 में जब वो सत्ता से विदा हुई थी उस समय तक देश के चार सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स मुम्बई दिल्ली हैदराबाद बंगलौर का 74% हिस्सा वो बेच चुकी थी। इसके बावजूद लगभग 50-51 हजार करोड़ की संपत्ति वाली एयर इंडिया पर लगभग 52-54 हजार करोड़ का कर्ज तथा 5 हजार करोड़ से अधिक सालाना घाटे की विरासत/सौगात देश को सौंप कर गयी थी। इस संदर्भ में तथ्यों साक्ष्यों के साथ पोस्ट लिख चुका हूं।
यहां उल्लेखनीय यह है कि 2004 में अटल जी की सरकार ने कांग्रेसी सरकार को घाटे के बजाय लाभ कमा रही एयर इंडिया को लगभग ऋण रहित स्थिति में सौंपा था। अतः केवल दस वर्षों में 50 हजार करोड़ की संपत्ति वाली एयर इंडिया पर लद गए 52-54 हजार करोड़ के कर्ज की कहानी यह बता रही है कि एयर इंडिया को तो कांग्रेसी सरकार 2014 से पहले ही बेच चुकी थी। उस बिक्री का केवल औपचारिक आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ था।
कहानी बहुत लंबी है। अगली पोस्टों में लिखता रहूंगा।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)