कोरोना संदेश: कुछ सकारात्मक भविष्यवाणियां
भारत पर कोरोनावायरस के प्रभाव का संपूर्ण विश्लेषण
Positive India:12 April 2020:
सुजीत तिवारी के फेसबुक वाल से उठाया गया यह लेख ऐसी तर्क संगत भविष्यवाणियां प्रस्तुत कर रहा है जिसे पढ़कर वाकई लगता है कि भारत ना सिर्फ कोरोना संकट पर काबू पा लेगा बल्कि विश्व में अपनी धाक भी स्थापित कर लेगा।
१- १३ अप्रैल ८|३९ मिनट को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में संचरण प्रारम्भ करेंगे। दस डिग्री की अवस्था तक पहुंचते पहुंचते कोरोना की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।जून द्वितीय सप्ताहांत तक भारत पहला देश होगा जो कोरोना पर पूर्ण विजय जैसी स्थिति में होगा। सख्त लॉकडाउन, तेज गरम मौसम और हमारा एंटीजेन से अक्सर ही संघर्ष करने वाला योद्धा प्रतिरक्षा तंत्र, यह सब मिलकर हमें उबार लेंगे।
२- पोस्ट- कोरोना दुनिया पहले जैसी नहीं रह जाएगी। वर्ल्ड आर्डर बदल जाएगा।भोजन,संस्कृति,योग,दवाईयों,कूटनीति,आध्यात्म के लिए दुनिया हमारा मुंह ताकेगी। भारत महाशक्ति बनेगा। हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्विन तो प्रारम्भ भर है।
३- भारत राजनीतिक रूप से स्थिर रहता है और सरकारें जरा सा पालिसी बदलें, मतलब वही घिसा पिटा गरीबी उन्मूलन और जातीय विमर्श से अलग लाइन लें तो चीन को पछाड़कर वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनते देर न लगेगी।पूरी दुनिया यहाँ निवेश को तत्पर होगी।दिसम्बर २०२१ के बाद भारतवर्ष में बेरोजगारी आश्चर्यजनक रूप से घटेगी।
४- एक बहुत बड़ी जनसंख्या दुबारा गांव,पशुपालन,दूध और कृषि की तरफ आकर्षित होगी।
५- भारतीय भोजन दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र होगा।दुनिया भर से लोग भारत में आयुर्वेद,प्राकृतिक चिकित्सा,होम्योपैथी,योग,प्राणायाम,तंत्र,ज्योतिष सीखने आएंगे।
६- राष्ट्रवाद बतौर राजनीतिक उपकरण और उभरेगा।राष्ट्रवाद के पक्ष में नए बौद्धिक नायकों का उदय होगा।
७- चाइनीज़-अमेरिकन राइवलरी बढ़ेगी।भारत दोनों के बीच बफर बना रहेगा।भारत को अमेरिका का खुला समर्थन मिलेगा और चीन भी हमें नाराज करने की गलती नहीं करेगा। आखिर हम एक सौ तीस करोड़ उपभोक्ताओं के देश भी तो हैं।
८- १९३०-४० के दशक की तरह ही अंतरराष्ट्रीय सहकारिता और ग्लोबलाईजेशन के कुछ नए पैरोकार भी उभरेंगे।
९- लॉकडाउन को भविष्य में प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के विरुद्ध हथियार की तरह प्रयोग किया जाएगा।हो सकता है कि आने वाले वर्षों में सरकारों और यू एन की तरफ से एनुअल लॉकडाउन कैलेण्डर जारी किए जाएं।
१०- यूरोपियन यूनियन की विफलता और कोविड से लड़ने में पूरे यूरोप के धराशायी होने के बाद यूरोप का भविष्य इस बात से तय होगा कि वह इस्लामिक प्रवेश से कैसे लड़ते हैं।
११- ग्रामीण अर्थव्यवस्था जिस देश की जितनी मजबूत होगी,ग्लोबल मंदी से बच जाएगा वह मंदी चाहे जिस भी कारण से हो।
१२-उधार और विश्व बैंक की मदद के दम पर चल रहे कुछ देश पतन की गर्त्त में पहुंच जाएंगे।
१३- जैविक युद्ध और जैविक आतंकवाद का खतरा पूरे विश्व पर हमेशा मंडराता रहेगा हालांकि इससे लड़ने के साधन और काबिल ह्यूमन रिसोर्स भी उपलब्ध होगा।
१४- स्वच्छता और हाइजीन पर मासिक खर्च बढ़ेगा जिससे बीमारियां घटेंगी।
१५- यह तय हो गया कि समाज की क्रियात्मक इकाई परिवार है व्यक्ति नहीं।
साभार=श्री मधुसूदन पाराशर उपाध्याय,
वैसाख कृष्ण चतुर्थी,
प्रमादी २०७७
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