कोरोना संकट:लाकॅडाउन में कैसे पार लगेगी मध्यम वर्ग की नैया
Plight of middle class during COVID-19 in India.
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
देश मे संक्रमण काल चल रहा है । कोरोना के चलते पूरा देश लाॅकडाउन है । ऐसे हालात मे निम्न वर्ग के लिए शासन ने, सामाजिक संगठनो ने अपने खजाने खोल दिये है । वही उच्चवर्ग ने भी अपनी सामाजिक सक्रियता के लिए अपना दिल बड़ा कर दान देने मे कोई भी कमी नही छोड़ी है । पर यहा एक वर्ग ऐसा भी है जिसके बारे मे किसी भी दल की सरकार हो विगत तिहतर साल से, कभी भी इसके बारे मे विचार तक नही किया है। यह है इस देश का मध्यम वर्ग।
मध्यम वर्ग ऐसा है, जो न कभी मोटा होता है, न पतला होता है । थोड़ा शिक्षित होने के कारण यह कभी भी राजनीतिक दलो का प्यारा नही बन पाया है । कोई भी चुनाव देख लो, झुग्गी झोपड़ियो मे चुनाव के दौरान नेताओ के जहां डेरे लगे रहते है, वही महीनो इनके लंगर भी चलते रहते है । क्योंकि हर नेता का एक ही मकसद चुनाव जीतना है । पर कोई भी नेता मध्यम वर्ग के यहाँ जाते ही नही है। उन्हे मालूम है कि जाने से कोई फायदा नही है; क्योंकि बंदा जिसको वोट देना है उसे ही देगा ।
पुनः मूल विषय पर, अभी के हालात मे, वो मध्यम वर्ग जो शासकीय सेवा मे है, वो तो थोड़ा सुरक्षित है, क्योंकि आज के समय में वह आर्थिक रूप से निश्चिंत है । पर जो लोग प्रायवेट जाबॅ में है, आज तो उनके हाल तो बेहाल है । जहां लाॅकडाउन के कारण आय का आना बंद है । वही व्यवसायी के यहाँ स्टाफ का खर्च भी उसके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है । दुर्भाग्य से घर के आर्थिक हालात खराब होने के बाद भी उसे राशन भी नही मिलेगा । अगर मिला भी तो अपने उस तथाकथित स्टेटस के कारण उसे लाइन मे लगना भी गंवारा नही होगा ।
देश मे लाॅकडाउन के बाद भी जब सरकारो को पता है तो भी विधुत के बिल के मैसेज आ ही रहे है । हर मध्यम वर्ग का कोई न कोई लोन चल रहा होगा । ऐसे मे ये वित्तीय संस्थान के लोन पटाने के प्यारे से मैसेज से मोबाइल भरा हुआ होगा । इन संस्थाओ को वित्तीय संकट से कोई लेना-देना नही रहता है । उन्हे अपने किश्त से मतलब रहता है । यही हाल बैंकिग सेक्टर का भी है । अभी लाॅकडाउन पीरियड निकल जाएगा, तो ये लोग अपने सही बैंकिग प्रणाली मे दिखने लगेंगे । फिर इनका एक ही उत्तर रहेगा, यह सब सिस्टम के कारण होता है, पर जब देना रहता है तो कोई सिस्टम काम नही करता ।
मध्यम वर्ग ऐसे हालात मे कैसे उठेगा ? लाकॅडाउन के चालीस दिन को आने वाले कितने दिनो मे सामान्य होने मे लगेंगे; कहना मुश्किल है । इस आर्थिक संकट मे कोई भी तारणहार बनकर नही आने वाला है । हर समय के तरह, लंबे समय के लिए अपने जरूरतो पर कटौती कर इज्जत बना कर रखने की कोशिश पर अमल करना; यही इस वर्ग की हर समय की नीति रही है और उस पर अमल होता रहा है । निश्चित ही इस समय शासन को चाहिए कि कम से कम तीन महीने के लोन की अवधि बढ़ाने का काम करना चाहिए । जिससे लाॅकडाउन के खत्म होते ही वसूली अभियान न चला सके । अब शासन को भी इस वर्ग के तरफ ध्यान देने की महती आवश्यकता है ।
सामान्यतः हर मध्यम वर्ग अपने जिम्मेदारियो को, चाहे वो बच्चो की महंगी शिक्षा हो; चाहे उसकी सामाजिक जिम्मेदारी हो, वो कैसे पाई पाई जमाकर निर्वाह करते है । वही इस वर्ग की सबसे बड़ी इच्छा है खुद का मकान। वो भी कैसे बनता है, वो वही जानता है । कुल मिलाकर इस मध्यम वर्ग की पूरी जिंदगी खींचतान मे ही निकल जाती है । आगे भी इनको कोई सुविधा मिलेगी दूर की कौड़ी है । वही मध्यम वर्ग की एक दिक्कत सामान्यतः दिखाई देती है कि कई बार अपने चादर से ज्यादा पैर पसारने के कारण और तकलीफ मे आ जाते है । कई बार अघोषित आर्थिक रूप से परिवारो मे श्रेष्ठ बनने की दौड भी कुछ समय के लिए मुसीबत का कारण बन जाती है ।
इस समय कई लोगो ने मध्यम वर्ग के मुसीबत को चित्रित करने की गुजारिश की थी। वही मुझे भी यह हर समय खटकता था कि हम न किसी दल के घोषणापत्र मे आते है न किसी सरकार के ऐजेंडा मे ।बस यह वर्ग अपने आर्थिक संसाधनो पर जिये । आज की परिस्थिति मे हम कब सामान्य होंगे यह आज हर परिवार के चिंता का विषय है । बस आज इतना ही ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-रायपुर