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हमारी संस्कृति व धर्म निरपेक्षता में मुस्लिम समुदाय का योगदान

जब भारतीय जनसंघ से हर कोई किनारा करता था तब सिकंदर बख्त ऐसे शख्स थे जिन्होंने उस समय ही इस दल को पहचान लिया था ।

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Positive India: Dr.Chandrakant Wagh:अभी काश्मीर मे इस माहौल के बाद भी सेना मे पुलिस मे जाने वालो की कोई कमी नही है । वहां के लोगो मे, यहां के मुस्लिम मे राष्ट्रीयता कूट कूट कर भरी है । चंद मुठ्ठी भर लोग ही अपने राजनीतिक फायदे के लिए माहौल बनाने की कोशिश करते है । गतांक से आगे देश मे हर क्षेत्र मे इनका योगदान इतना है की इनके बिना देश का इतिहास अधूरा है । जब हम कला क्षेत्र की बात करते है तो भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान हमारे देश की शान है । उनके शहनाई ने देश को गौरवान्वित किया है । आज कही की भी शादी हो उस्ताद खान साहब के धुन लगे बगैर अधूरी है । पंडित रविशंकर के गुरु उस्ताद अल्ला रक्खा खान जिन्होंने मैहर घराने की नींव रखी, जिसके कारण आगे चलकर महान शास्त्रीय गायक इस देश को मिले । ख्याति तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के तबले की थाप ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को गौरवान्वित किया है । वही नौशाद साहब के संगीत ने भारतीय फिल्म को नया आयाम दिया है । वही स्व. मोहम्मद रफी जिनके गाने भजन सुनकर ही आज देश का हर आदमी अपने उम्र के इस पड़ाव मे है । आज रफी साहब भले नही है पर हर के जेहन मे विद्यमान है । स्व. श्रीमती नरगिस दत्त के मदर इंडिया के बेहतरीन अभिनय के सब कायल रहे है । यह इस देश की तत्कालीन समस्या पर आधारित फिल्म थी । वैसे भी श्रीमती नरगिस दत्त वास्तविक जीवन मे धमॆनिरपेक्षता की एक मिसाल थी । इस देश मे फिल्म के माध्यम से भी सामाजिक ताना-बाना के लिए काफी काम हुआ है । वही समय समय पर सलीम खान के, इस देश की अखंडता के लिए बेबाक आलेख और जवाब ने उन सबको निरुत्तर ही किया है । वही राज्य सभा मे असदुद्दीन ओवैसी को जावेद अख्तर साहब का जवाब संसद के मर्यादा के अनुरूप व संसद के इतिहास मे एक प्रभावशाली भाषणों मे से एक भाषण था । जिसने इस देश के मुस्लिम की देश के लिए सोच व राष्ट्र के लिए उसका जज्बा दिखाया । मै मरहूम महमूद व जानीवाकर जिन्होने फिल्म के माध्यम से लोगो को उस समय तनाव मुक्त किया । इस देश ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्व.हिदायतुललाह जी को देखा है । उनके फैसले मील का पत्थर साबित होते थे । छत्तीसगढ को गव॔ है कि वो यहां पढें वही उनके नाम से राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय है । मै एक और जज जस्टिस मोहम्मद करीम छागला का उल्लेख करना चाहूंगा, जिन्होंने भाजपा के निर्माण के समय ही कह दिया था कि ये पार्टी एक दिन सत्ता मे जरूर आएगी । अगर अब मैं खेल की बात करू तो इस देश को ओलंपिक मे सवण॔ पदक दिलाने का श्रेय पूर्व सांसद मोहम्मद असलम शेरखान को जाता है । इस देश ने जफर इकबाल के नेतृत्व मे भी हाकी खेली है । वहीं किक्रेट मे फारूख इंजीनियर , सैय्यद किरमानी पूर्व विकेट कीपर रहे है । वही जनता छक्के मारने वाले सलीम दुर्रानी को कौन भूल सकता है । जब भारतीय जनसंघ से हर कोई किनारा करता था तब सिकंदर बख्त ऐसे शख्स थे जिन्होंने उस समय ही इस दल को पहचान लिया था । काश्मीर एकता के लिए स्व. गुलाम मोहम्मद सादिक का बड़ा रोल रहा है । देश के हर क्षेत्र मे अनेको ऐसे मिल जाऐंगे। राजेश रामायणी से कौन अपरिचित है । दाउद खान के रामायण ने छत्तीसगढ को राममय किया है ।मै अभी इसे यही विराम देता हू आगे चलकर इस पर कभी और भी लिखूंगा । पर पूर्व राष्ट्रपति मिसाइलमैन अब्दुल कलाम के बिना ये आलेख ही अधूरा रहता । इस देश को रक्षा के मामले मे आत्म निर्भर बनाने का श्रेय उनको ही जाता है । वही राष्ट्रपति के रूप मे उनकी भूमिका बेहतरीन रही । वे इस देश के लोकप्रिय राष्ट्रपति मे से एक है । ये है हमारे धर्म निरपेक्षता के प्रतीक जिन्होंने सही मायने मे देश को एक नही दिशा दी । देश के विकास मे इनका योगदान अमूल्य है । यही हमारी संस्कृति व धर्म निरपेक्षता है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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