पर्यावरण संरक्षण में ग्रीन आर्मी तथा धर्म का योगदान
पर्यावरण संरक्षण को लेकर ग्रीन आर्मी की पहल
Positive India:Raipur:पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार तो संजीदा है ही उसके साथ कुछ एनजीओ पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए, इसको प्रदूषण से मुक्त करने के लिए न सिर्फ कृत संकल्पित है बल्कि जमीनी स्तर पर भी काम कर रहे हैं। उनमें एक है ग्रीन आर्मी आफ रायपुर। अगर विगत 2 सालों पर ग्रीन आर्मी के कार्यों पर नजर डालें तो प्रथम वर्ष ग्रीन आर्मी ने सिर्फ 1100 पौधे रोपित किए; दूसरे वर्ष 11,000 पौधे रोपित किए और तीसरे वर्ष 2019 में 25000 वृक्षारोपण का टारगेट लिया है, जो संभवतः सिर्फ पूरा नहीं होगा बल्कि एक्सीड होगा। सबसे अहम बात यह है कि रोपित किए हुए पौधों में से 90% पौधे जीवित हैं।
ग्रीन आर्मी की इस सफलता के पीछे सिर्फ ग्रीन आर्मी के वॉलिंटियर्स ही नहीं बल्कि शहर के वे लोग हैं जो सिर्फ वृक्षारोपण नहीं कर रहे हैं बल्कि उन वृक्षों की देखभाल भी कर रहे हैं ताकि वे जीवित रहे तथा हमें ऑक्सीजन देने के लायक बन जाए। इसी कड़ी में ग्रीन आर्मी ने सभी धर्मों को जोड़ने का मुहिम चलाई। इसी के तहत वृंदावन सिविल लाइन में हिंदू धर्म, सिख, क्रिश्चियन,तथा मुस्लिम धर्म के गुरुओं को इनवाइट किया तथा उनसे जाना कि पर्यावरण के संरक्षण में धर्मों का क्या योगदान रहा है तथा आगे क्या योगदान रहेगा?
हिंदू धर्म की ओर से महंत श्री रामसुंदर दास जी ने बताया है कि सनातन धर्म में आदि काल से ही मानव जीवन के साथ-साथ पशु, पक्षी, जीव, जंतु एवं पेड़ पौधे, वनस्पति हमारे जीवन के अभिन्न अंग रहे हैं एवं पर्यावरण के संरक्षण की बातें की गई है और जिसकी जरूरत आज हम महसूस कर रहे हैं; क्योंकि आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम इन पेड़ पौधों को भूल रहे हैं। हिंदू धर्म में तो पीपल, बरगद, आंवला तुलसी की पूजा की जाने की परंपरा है। भारत देश एक ऐसा देश है जहां नदियों को मां माना जाता है। वैदिक रीति-रिवाजों के द्वारा यज्ञ के माध्यम से वातावरण के वायु प्रदूषण को दूर किया जाता है। जब भी कोई पूजा पाठ होता है तो पुजारी तब तक पूजा शुरु नहीं करता जब तक आम के पत्ते ना जाए। आम के पत्ते डाली से टूटने के बाद भी ऑक्सीजन प्रदान करती हैं, यह एक वैज्ञानिक सत्य है तभी तो हिंदू धर्म में कोई भी कार्य किया जाए बिना आम के पत्तों से पूजा संपन्न नहीं हो सकती। कारण सिर्फ और सिर्फ एक है, जब बहुत सारे लोग इकट्ठे होते हैं, वातावरण प्रदूषित होता है तो टूटे हुए आम के पत्ते, आम के पत्तों की बंदनवार वातावरण को ऑक्सीजन दे कर दूषित होने से बचाती है।
सिख धर्म की ओर से स्टेशन चौक गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी भाई अमृत सिंह जी ने बताया कि प्रथम गुरु सिख श्री गुरु नानक देव जी ने इस दिशा में प्रकृति की रक्षा का संदेश दिया है। स्वर्ण मंदिर के बाहर बेल के वृक्ष की पूजा प्राचीन समय से होती रही है, आज भी होती है। अमृतसर के गुरु की बगिया हरियाली एवं प्रकृति की रक्षा का संदेश देती है। उन्होंने यह भी बताया कि मुंबई में 25 किलोमीटर के दायरे में 25000 पेड़ लगाने का संकल्प लिया है। इतना ही नहीं उन 25000 पौधों को संरक्षित करने का भी जिम्मा उठाया है।
क्रिश्चियन धर्म की ओर से सेंट पॉल चर्च के फादर शमशेर सैमुअल जी ने बताया है कि क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोगों को क्रिसमस पर्व के दिन क्रिसमस ट्री के माध्यम से हरियाली एवं प्रकृति के संरक्षण की अपील की जाती है। ईसाई धर्म मनुष्य के साथ-साथ पशु पक्षियों एवं प्रकृति प्रेम को भी बढ़ावा देता है
मुस्लिम धर्म की ओर से दो बार हज यात्रा कर चुके हाजी शेख अब्दुल वाजिद जो मुस्लिम नूरानी एजुकेशन सोसायटी के हैं, ने बताया है कि मक्का मदीना के आसपास के क्षेत्रों में वृक्षों की कटाई प्रतिबंधित है। वृक्षों की कटाई को हराम माना जाता है। मुस्लिम धर्म की शुरुआत खाड़ी देशों से हुई है। इस्लाम को मानने वाले लोगों में हरियाली का संदेश दिया गया है हरे रंग का बहुत अधिक महत्व हैं ।
उद्योगपति एवं समाज सेवी राजेश अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में बताया कि रायपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर एक औद्योगिक क्षेत्र निर्मित किया गया है जो उरला, बिरगांव, उरकुरा, भनपुरी गोगांव तथा सरोरा को मिलाकर बनाया गया है। जहां पर एक हजार से ज्यादा फैक्ट्री, गोडाउन, दुकान इत्यादि हैं। यहां पर जो बीड़ा ग्रीनार्मी ने उठाया है यह बहुत सराहनीय है। संपूर्ण उद्योग संघ, इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, सामाजिक संगठन ग्रीन आर्मी की इस मुहिम में सदैव साथ देगी।
पर्यावरण के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन आर्मी को 11 जोन तथा 121 वार्डों में विभाजित कर दिया गया है ताकि ग्रास रूट लेवल पर पौधों को ना सिर्फ रोपित किया जा सके बल्कि उसकी समुचित देखभाल भी की जा सके।
इस कार्यक्रम में अमितेश पाठक, सुभाष साहू, शिल्पा नाहर, अनिल वर्मा,विजय जैन, सुषमा तिवारी, पीके साहू,लीना वाढेर, अजय शर्मा सहित लगभग 200 सदस्यों एवम् पर्यावरण प्रेमियों ने रायपुर को हरा भरा करने का अपना संकल्प दोहराया।