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नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर कांग्रेस कटघरे में

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Positive India: नागरिकता संशोधन कानून(CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(NPR) और एनआरसी(NRC) पर कांग्रेस कटघरे में आ गई है। डॉ मनमोहन सिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल में यह पूर्ण रूप से साफ कर दिया था कि कांग्रेस सरकार एनआरसी लाने का इरादा रखती है। एनआरसी से पहले एनपीआर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर लाया जाएगा।

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यह वही कांग्रेस सरकार है जो मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून तथा एनपीआर पर देश को भड़का कर सड़कों तथा गलियों में उतर पड़ी है। पूरे देश में सीएए को एनआरसी से जोड़कर उग्र धरना प्रदर्शन व आंदोलन करने वाली कांग्रेस अब स्वयं कटघरे में खड़ी है।

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मनमोहन सरकार ने 2012 में हरीन पाठक और योगी आदित्यनाथ को लोकसभा में लिखित जवाब दिया था कि 5 साल के उम्र के ऊपर के सभी लोगों की दसों उंगलियों व दोनों आंखों की पुतलियों के निशान लिए जाएंगे और इस तरह नेशनल पापुलेशन रजिस्टर डाटा तैयार किया जाएगा। फिर एनपीआर डाटा को आधार से जोड़ दिया जाएगा; परंतु एनपीआर कार्ड होल्डर को नागरिक नहीं माना जाएगा यानी यह नागरिकता कार्ड नहीं होगा। एनपीआर कार्ड पर साफ-साफ लिखा होगा कि यह किसी को नागरिकता अधिकार प्रदान नहीं करता है।

योगी आदित्यनाथ के पूछे गए सवाल के जवाब में मनमोहन सरकार-2 ने जवाब दिया था की नागरिकता अलग से तय होगी जब एनआरसी की प्रक्रिया होगी जो एनपीआर का ही अगला हिस्सा होगा। क्या कांग्रेस सरकार लिखित में दिए जवाब से पलट सकती है? और अगर पलट रही है तो क्यों पलट रही है? अपने लिखित जवाब से पलटना मतलब देश को गुमराह करना। जो कांग्रेस स्वयं करना चाह रही थी आज मोदी सरकार ने उसे लागू कर दिया तो इतनी हाय तौबा क्यों? कांग्रेश देश के युवाओं को भड़का कर प्रदर्शन व हिंसा की राजनीति कर रही है ताकि ताकि खोई हुई राजनैतिक जमीन को फिर से वापस पा सके।

नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी, एनपीआर यह सभी कांग्रेस की देन है। जब कांग्रेस सरकार में थी तब यही सीएए, एनपीआर और एनआरसी मुस्लिम विरोधी नहीं था और भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही, और उनके द्वारा कानून को लागू करते ही यह मुस्लिम विरोधी कैसे हो गया? कांग्रेस को देश की जनता को बताना पड़ेगा कि विपक्ष में आते ही उसकी विचारधारा कैसे बदल गई? उसके द्वारा लाए गए कानून देश विरोधी कैसे हो गए।

नागरिकता कानून के विरोध में देश को युवाओं को भड़का कर हिंसक प्रदर्शन करना, यह कैसी राजनीति है? इससे तो देश में अराजकता और अव्यवस्था माहौल ही पैदा होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के आखिरी “मन की बात” में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर देश में हो रही हिंसा पर चिंता जाहिर की तथा विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पर निशाना साधा जो देश में अव्यवस्था फैला कर जातिवाद व परिवारवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह यह साफ कर चुके हैं कि नागरिकता संशोधन कानून किसी को नागरिकता देने का है ना कि किसी से नागरिकता वापस लेने का। उसके बावजूद देश को बरगला कर, झूठी अफवाहें फैलाकर विपक्षी दल भारत को हिंसा में झोंक रहे जो भारत के भविष्य के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है।

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