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राइट टू हेल्थ एक्ट पर राजस्थान सरकार और डॉक्टरों के बीच गतिरोध हुआ समाप्त

"राइट टू हेल्थ एक्ट का उद्देश्य सिर्फ तुष्टीकरण था," डॉ राकेश गुप्ता

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Positive India:Raipur:
राइट टू हेल्थ एक्ट(Right to Health Act) पर आज दिनांक 4 अप्रैल को राजस्थान में सरकार और डॉक्टरों के बीच चला आ रहा विरोध प्रदर्शन और गतिरोध समाप्त हो गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(Indian Medical Association), प्राइवेट नर्सिंग होम एसोसिएशन और राज्य सरकार के बीच निम्न बातों पर समझौता हुआ।
1.इस समझौते के अनुसार 50 बिस्तर से कम अस्पतालों पर यह एक्ट लागू नहीं होगा l
2.प्राइवेट अस्पताल जिन्हें सरकार द्वारा कोई भी अनुदान नहीं दिया गया जैसे कि जमीन और भवन पर सब्सिडी, ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल भी इस एक्ट से बाहर रहेंगे।
3.प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और पीपीपी मोड पर चलने वाले हॉस्पिटल इस एक्ट के अंतर्गत काम करेंगे l
4. ऐसे हॉस्पिटल जिन्हें सब्सिडाइज रेट पर जमीन या सरकार द्वारा जमीन अनुदान में दी गई हो वह हॉस्पिटल भी इस एक्ट के अंतर्गत काम करेंगेl
5.ट्रस्ट द्वारा चलाए जाने वाले हॉस्पिटल जिन्हें सरकार द्वारा जमीन और भवन उपलब्ध कराया गया हो ऐसे हॉस्पिटल एक्ट के अंतर्गत काम करेंगे।
6.विरोध प्रदर्शन के दौरान डॉक्टरों पर किए गए पुलिस केस को भी वापस लिया जाएगा
7.इस समझौते के तहत हॉस्पिटल के लाइसेंस और अगर प्रक्रिया के लिए एकल खिड़की की व्यवस्था की जाएगी
8. फायर एनओसी का हर 5 साल में नवीनीकरण किया जाएगा

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इस एक्ट के अंतर्गत किसी भी तरह के परिवर्तन के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के दो प्रतिनिधियों को सलाहकार मंडल में शामिल किया जाएगा समझौते के बाद राजस्थान और कुछ राज्यों में आंदोलनरत सभी चिकित्सक अपने कार्य पर वापस आ गएl इस समझौते के समय राज्य सरकार की ओर से सचिव चिकित्सा शिक्षा सम्मिलित हुएl डॉक्टरों की ओर से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, प्राइवेट हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम एसोसिएशन और उपचार एसोसिएशन के प्रतिनिधि सम्मिलित थे ।

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Dr Rakesh Gupta-IMA President,Raipur gives his version on RTH
डॉ राकेश गुप्ता अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर में बताया की राजस्थान गवर्मेंट जबरदस्ती इस इमरजेंसी योजना को लेकर आई जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ तुष्टीकरण था। इससे कोई फायदा नहीं होने वाला था। इस योजना को लाकर राजस्थान की गहलोत सरकार ने यह स्वीकार किया है कि सरकारी अस्पताल पूर्ण रूप से सेवा देने में अक्षम है। तभी तो प्राइवेट अस्पतालों पर जबरदस्ती इस राइट टू हेल्थ एक्ट को लादने की कोशिश की गई। सरकार का काम होना चाहिए कि वह प्राइवेट अस्पतालों को संरक्षण दे और सरकारी अस्पतालों को पोषित करें क्योंकि सरकारी अस्पताल गरीबों की सेवा के लिए कमिटेड होते हैं। पर यहां तो राजस्थान की गहलोत सरकार ने उल्टा ही कर दिया था।

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