पॉजिटिव इंडिया :रायपुर ; 21 जुलाई 2019,
रायपुर कमिश्नर जी.आर.चुरेन्द्र ने कहा है कि जल बचाना और पौधे लगाना फिलहाल राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। जल बचाने के लिए हमें उपलब्ध सभी तालाबों एवं डबरियों को बरसात के पानी से लबालब भरना होगा। तालाब एवं इसके केचमेंट एरिया में बेजा कब्जा होने की वजह से आज लगभग 70 फीसदी तालाब अपनी पूरी क्षमता से भर नहीं पा रहे हैं। यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने बेजा कब्जा को हटाते हुए तालाब भरने के लिए सम्पूर्ण उपाय एवं अधिकार सुनिश्चित करने को कहा है। श्री चुरेन्द्र कल जिला मुख्यालय बलौदाबाजार में जल संरक्षण, वन प्रबंधन एवं वृक्षारोपण को लेकर आयोजित महत्वपूर्ण बैठक लेकर अधिकारियों को इस आशय के निर्देश दिए। कमिश्नर ने वृक्षारोपण कार्य मे व्यापक जनसहभागिता सुनिश्चित करते हुए इसे जनआंदोलन के रूप में चलाने की जरूरत बताई है। जिला पंचायत के सभाकक्ष में लगभग चार घण्टे तक चली बैठक में कलेक्टर कार्तिकेया गोयल, डीएफओ विश्वेश कुमार, जिला पंचायत के सीईओ आशुतोष पाण्डेय, अपर कलेक्टर जोगेन्द्र नायक सहित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
कमिश्नर चुरेन्द्र ने बैठक में कहा कि नदी-नालों में बारहों महीने पानी नहीं रहने का एक प्रमुख कारण गांवों के तालाब-डबरी का जल्दी सूखा हो जाना है। इसलिए हमें तालाब-डबरी को सतहीय जल से लबालब रखना है। विभिन्न कारणों से आज भू-जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है। गर्मी के दिनों में धान की खेती से भी भू-जल का स्तर नीचे की ओर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इससे बचाव के लिए हमें अब रबी की खेती में धान से मुँह मोड़ना होगा। दलहन-तिलहन और साग-सब्जी की खेती की ओर जाना होगा। राज्य सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं के जरिये इस दिशा में प्रोत्साहन भी दे रही है। उन्होंने कहा कि जल के बचत की बात आज बहुत कम लोग करते है। सभी लोग इसके अंधाधुंध उपयोग पर तुले हुए है। इस प्रवृत्ति को हमें सबका सहयोग एवं जनजागरूकता लाकर बदलना होगा।
कमिश्नर चुरेन्द्र ने बैठक में सुराजी गांव एवं नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समृद्ध गांव एवं सामाजिक समरसता का विकास इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है। हर आदमी की क्षमता का गांव के विकास में नियोजन योजना में शामिल है। उन्होंने कहा कि गोठानों का निर्माण दूसरे चरण में अब शहरों एवं इसके नजदीक के गांव तथा चारागाह एवम चरवाहा नहीं रहने वाले गाँव में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गोठानों में भू-जल का नहीं बल्कि सतहीय जल का उपयोग किया जाना है। इसलिए जगह की उपलब्धता के अनुसार गोठानों में बड़े पैमाने पर डबरी का निर्माण किया जाना चाहिए।कमिश्नर ने आस्था अभियान के अंतर्गत लोक प्रयोजन के स्थलों को बेजा कब्जा मुक्त करने के निर्देश राजस्व अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा में बेजा कब्जा से होने वाली असुविधा एवं परेशानियों एवं इसके फायदे के बारे में चर्चा किया जाए तो लोग अपने आप बेजा कब्जा हटाने लग जाएंगे।
कमिश्नर ने वन महोत्सव के कार्यक्रमों में जनता की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा है। इस तरह वे योजना में जुड़ाव महसूस करते हुए पौधों की सुरक्षा में महती भूमिका निभाएंगे। उन्होंने सुरक्षा घेरा युक्त स्कूल, आंगनबाड़ी सहित सभी सरकारी संस्थाओं में व्यापक वृक्षारोपण करने को कहा है। उन्होंने नदियों के कटाव रोकने के लिए इनके किनारे वृक्षारोपण एवम बापू वाटिका की भी जानकारी ली। उन्होंने हरियाली प्रसार योजना में लोगों की इच्छा के अनुरूप पौधे देने को कहा ताकि इसमें लगाव महसूस करते हुए इसकी सुरक्षा करें। कमिश्नर ने सामुदायिक महत्व के कामों में श्रमदान की परम्परा को फिर से जीवित करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि गांवों में पहले बड़े-बड़े काम श्रमदान से ही होते थे। सरकारी अफसरों को इसकी पहल करनी चाहिए। नदी-नालों में पानी रोकने के लिए नाला बंधान, चेकडैम, स्टॉपर जैसी सरंचनाओं का निर्माण श्रमदान से करने के निर्देश दिए। बैठक में चुरेन्द्र ने मनरेगा के अंतर्गत टास्क आधारित मजदूरी भुगतान, किसानों के खेतों में डबरी निर्माण, सतहीय जल का ज्यादा से ज्यादा उपयोग, हैंडपम्पों के नजदीक सोख्ता एवम जानवरों के पानी पीने के लिए टँकी निर्माण, स्कूलों में हर दो महीनों में पालक-बालक सम्मेलन का आयोजन, शाला प्रबंधन समिति की हर महीने बैठक, रिक्त पदों पर मानसेवी शिक्षकों की नियुक्ति, प्रत्येक पंचायत मे ग्राम विकास एवं न्याय समिति का गठन सहित अधिकारी-कर्मचारियों का नियत मुख्यालय में रहने के निर्देश दिए है। कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने कमिश्नर के प्रति आभार ब्यक्त करते हुए उनके दिशा-निर्देशों पर चलकर बेहतर समन्वय के साथ काम करते हुए बेहतर परिणाम प्राप्त करने का भरोसा दिलाया।
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