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गौठानों में लगेंगे पीपल,बरगद,बेल,आम के वृक्ष

गौठानों में ग्रामीण खाद को केंचुआ खाद में करा सकेंगे रूपांतरित।

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CM Bhupesh Baghel-Who has given vision of Gouthan:Image Credit:Twitter
Positive India:Raipur:
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत जिले में नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी के संवर्धन के कार्य तेजी से जारी है। जिले में प्रथम चरण में 97 ग्राम पंचायतों में गौठान, चारागाह और बाड़ी का निर्माण किया जा रहा है। इन गौठानों में पीपल, बरगद, बेल, आम, कदम और नीम सहित विभिन्न छायादार और फलदार पौधों का रोपण भी किया जाएगा। इन गौठानों में बनाए जा रहे सी.पी.टी. में ग्रामीण अपने यहां की खाद को कंेचुआ खाद में भी रूपांतरित करा उसका उपयोग अपने खेतों में कर सकेंगे। इससे रासायनिक खाद के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से मुक्ति मिलेगी वहीं गांव में ही जैविक अनाज और सब्जियां के उत्पादन के साथ ही यह पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री के कृषि और ग्रामीण विकास मामलों के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. गौरव कुमार सिंह ने आज यहां जिले के आरंग विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बैहार और बनचरौदा में बनाए गए मॉडल गौठानों का निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
प्रदीप शर्मा ने बरसात के मौसम में पशुओं को परेशानी न हो इसे ध्यान में रखते हुए गौठानों में आवश्यक नाली, पैरा रखने की व्यवस्था, चारागाह निर्माण तथा वृक्षारोपण के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक सुझाव दिए। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीण और समूह की महिलाओं चर्चा करते हुए गौठानों के व्यवस्थित संचालन और बाड़ी से उत्पन्न होने वाली सब्जियों, उनके प्रोसेसिंग, केंचुआ खाद निर्माण सहित विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के संबंध में जानकारी प्रदान की।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. गौरव कुमार सिंह ने बताया कि प्रथम चरण में जिले के 97 ग्राम पंचायतों में गौठानों का निर्माण चल रहा है। इसमें 21 ग्राम पंचायतों में मॉडल गौठान बनाए जा रहे है। गौठानों में पशुओं के पीने के पानी के लिए ट्यूबवेल और सोलरपंप लगाए जा रहे है। उनके बैठने के स्थान में पारंपरिक तरीके से घास-फूसयुक्त शेड का निर्माण किया जा रहा है। पशुओं की उपस्थिति के लिए चारागाहों की व्यवस्था की जा रही है। पशुओं के चारे के लिए ग्रामीण बड़े उत्साह से पैरा दान भी कर रहे है। गौबर खाद के लिए वर्मी बैड की व्यवस्था की गई है इसके साथ ही भू-नाडेप टांके भी बनाए जा रहे है।

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