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छोड़कर बल्ला वो शामिल दौड़ में

लो बगावत फिर वहाँ खासी हुई।

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
ताजपोशी की ख़बर बासी हुई,
लो बगावत फिर वहाँ खासी हुई।

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कुर्सियों के खेल में क्या क़ायदे,
अब सियासत वोट की दासी हुई।

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अब सहारा मिल गया अलगाव को,
मंथरा महलों की फिर वासी हुई।

आप भी अब दल नया इक खोजिए,
इस तरफ़ तो खत्म नक्कासी हुई।

अब प्रदर्शन में नहीं वो बात है,
कामना फिर भीड़ की प्यासी हुई।

छोड़कर बल्ला वो शामिल दौड़ में,
कब मनुज की चाह सन्यासी हुई।

लेखक:कवि राजेश जैन ‘राही’, रायपुर

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