
Chhava में छत्रपति शम्भाजी महाराज पर दर्शाए अत्याचार अतिरंजना नहीं, सच्चाई है।
-कुमार एस की कलम से-

Positive India:Kumar S:
Chhava में #छत्रपति_शम्भाजी_महाराज पर दर्शाए अत्याचार अतिरंजना नहीं, सच्चाई है।
यह तुम्हारे अतीत का प्रदर्शन है।
पुरानी पीढ़ी में इतना करंट नहीं होगा कि वे उसे महसूस कर सकें, जो छावा की छवि को छविगृह में देखकर युवाओं और किशोरों में हो रहा है।
“क्या हमारे साथ ऐसा हुआ था?”
भारतभूमि के जन, आस्था,देव,तीर्थ, द्विज, गौ, ब्राह्मण, किले, महल, घाटियां क्यों पूजनीय है और क्यों सुरक्षित रह पाए?
मरुमेले में मियां खलीफा नचाने वाले सुस्त अफसरों के बच्चों को chhava दिखाओ।
क्योंकि ये जो बच्चे हैं न, वे नहीं करवाते मंहगा मेकअप।
नहीं छिलवाते चमड़ी।
उन्हें समझ में आना ही चाहिए कि भारत तब बचा जब वीरता के सिंह पर आरूढ़ सपूतों को घात लगाकर पकड़ा गया और भयंकर यातनाएं दी गईं।
जो योगेंद्र सलीम यादव ncert की बुक्स में लिखवाता है कि औरंगजेब टोपियां सिल कर गुजारा करता था, जो इरफ़ान हबीब बताता है कि वह तो दानी था, जो रोमिला आंटी आज भी मुगलों की याद में मल्टीपल ऑर्गेज़म को प्राप्त होती रही हैं, एक बार जाकर देखो कि तुम्हारे साथ क्या हुआ था?
दरअसल भारत पर मुस्लिमकाल मे जो अत्याचार हुए थे, तदजनित फोबिया आज भी सेक्यूलर बिरादरी के डीएनए में विद्यमान हैं और उनकी अभिव्यक्ति में यह प्रकट होता है।
विक्की कौशल की छावा इस डीएनए में छेड़छाड़ करती है।
साभार: कुमार एस-(ये लेखक के अपने विचार हैं)