Positive India:New Delhi: छत्तीसगढ़ को सर्वोत्तम समावेशी विकास के लिए मिला उत्कृष्टतम पुरस्कार। इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा आज दिल्ली में आयोजित स्टेट आफॅ द स्टेट कॉनक्लेव 2019 में छत्तीसगढ को सर्वोत्तम समावेशी विकास के क्षेत्र में उत्कृष्टतम प्रदर्शन के लिए पुरस्कार मिला। कृषि मंत्री चौबे ने छत्तीसगढ़ की ओर से यह पुरस्कार ग्रहण किया। कृषि मंत्री ने कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में हमने ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ के नारे के साथ नया आर्थिक मॉडल अपनाया हैं। इसके लिए हमें यह जरूरी लगा कि अर्थव्यवस्था की धुरी को बदला जाए। एक ऐसी अर्थव्यवस्था अपनाई जाए, जिसके केंद्र में गांव हो। आज जब पूरे देश में मंदी छाई हुई है, छत्तीसगढ़ के बाजार में रौनक है। वह इसलिए क्योंकि अर्थव्यवस्था का भार अब गांवों ने अपने कंधों पर उठा लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य का सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। शिक्षा और स्वास्थ जैसी मूलभूत अधोसंरचनाओं को मजबूत करने के लिए हम चौतरफा कदम उठा रहे हैं।
महात्मा गांधी के जन्म दिवस 02 अक्टूबर से हमने छत्तीसगढ़ में सुपोषण अभियान की शुरूआत की है। अब राज्य के हर आंगनबाड़ी में बच्चों को गर्म और पका हुआ पौष्टिक भोजन उनकी रुचि के अनुसार उपलब्ध कराया जा रहा है।
स्वास्थ्य सुविधाओं को लोगों के ज्यादा से ज्यादा करीब लेकर हम गये हैं। बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्रों में बहुत बड़ी आबादी दुर्गम क्षेत्र के गांवों में रहती है। इस आबादी के लिए स्वास्थ्य जांच, उपचार और निःशुल्क दवाइयों की व्यवस्था साप्ताहिक हाट-बाजारों में क्लिनिक स्थापित कर की जा रही है। शहरी क्षेत्रों की निचली बस्तियों में हमने मोबाइल क्लिनिक स्थापित किए हैं, ताकि गरीब परिवारों को इलाज में आसानी हो। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि हर व्यक्ति गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज करने में सक्षम हो। हम जरूरतमंदों को इलाज के लिए 20 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। और हमें गर्व है कि इस काम के लिए इतनी बड़ी राशि उपलब्ध कराने वाले हम देश में इकलौते राज्य हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमने किसानों के कर्ज माफ कर दिए। धान की कीमत बढ़ाकर 2500 रुपए कर दी। तेंदूपत्ता की कीमत ढाई हजार रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा कर दी। इससे मैदानी गांवों से लेकर बस्तर और सरगुजा के दूरस्थ गांवों को तुरंत आर्थिक-ताकत मिल गई। हमने गांवों को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मृतप्राय पारंपरिक स्त्रोतों को फिर से जीवित किया।
उन्होंने कहा कि पूरे भारत की तरह छत्तीसगढ़ के गांवों की अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख आधार रहे हैं- नदी-नाले, पशुधन, उपजाऊ भूमि, और बाडि़यां। छत्तीसगढ़ी में इन्हें ही नरवा-गरवा-घुरवा-बारी कहा जाता है। हम नदी-नालों के पानी को जगह-जगह रोककर खेतों की सिंचाई का इंतजाम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की सभी पंचायतों में गोठानों का निर्माण कर पशुधन को बचाने और बढ़ाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं। गोठानों से प्राप्त गोबर और अवशेषों से जैविक खाद बना रहे हैं, ताकि भूमि को और भी उपजाऊ बनाया जा सके और बाडि़यों में पौष्टिक सब्जियों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना का कैनवास बहुत बड़ा है। गोठानों के जरिये बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी निर्मित हो रहे हैं। स्व सहायता समूहों की महिलाएं गोबर से तरह-तरह की सामग्री बना रहीं है, जैविक खाद का उत्पादन कर रही हैं। हर गोठान के प्रबंधन और संचालन के कार्य में 10-10 युवाओं को रोजगार मिला है।
गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए इतना भर काफी नहीं था। गांवों का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ जरूरी था कि उन उत्पादों को सही बाजार और सही कीमत मिले। ऐसे अवसरों का निर्माण किया जाए, जिससे वे और भी अधिक उत्पादन के लिए उत्साहित हों। इसीलिए हमने छत्तीसगढ़ की उद्योग नीति में भी बदलाव किया। अब जो नयी उद्योग नीति अपनाई गई है, उसमें कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को हम प्राथमिकता दे रहे है। कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में विकास की नयी अवधारणा के साथ काम करना शुरू किया है, जिसमें हमने भौतिक विकास की जगह सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा है।
इस अवसर पर राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, पुडुचेरी और पंजाब के मुख्यमंत्री एवं अन्य राज्यों के कैबिनेट मंत्री सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।