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शराब नीति घोटाले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को क्यो किया गिरफ्तार?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
इस बात पर ध्यान देना होगा, सवाल यदि हो कि क्या शराब घोटाला हुआ है? उत्तर है- नहीं। क्या पैसों का घोटाला हुआ है? उत्तर है- नहीं। फिर आबकारी घोटाला है क्या? असल में आबकारी घोटाला पॉलिसी घोटाला है।

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एक वक्त था जब पैसों का गबन होता था। हवाला कांड होता था। पर अब भ्रष्टाचार के तरीके बदल गए हैं। क्योंकि अब अपराधी बैकग्राउंड वाले मंत्री नहीं बनते। अब जो मंत्री बनते हैं अर्बन नक्सली होते हैं। बहुत पढ़े लिखे होते हैं। सोरॉस के आदमी होते हैं। इसलिए घोटाला भी पॉलिसी का होता है। घोटाला में सबसे उत्कृष्ट घोटाला है पॉलिसी घोटाला।

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इस प्रकार का घोटाला उसी रास्ते पर है, जहां आगे चलकर कानून का घोटाला होगा। संविधान का घोटाला होगा। यदि ऐसे लोग सत्ता में रहे तो पैर के नीचे से जमीन खींच लेंगे, जनता को कहेंगे आप फ्री के बिजली लो, फ्री के पानी लो, फ्री में शिक्षा लो। अच्छे स्कूल लो, अच्छे अस्पताल लो। पता भी नहीं चलेगा, देश कब टूट जाएगा।

इसलिए देश की जनता को भी अब अपनी सियासी समझ में सुधार लाना होगा। जब नेताओं के आचरण बदल रहे हैं, जनता को भी अब विचारधारा समझ कर लोकतंत्र बचाना होगा। विचारधारा तय करना होगा कि कैसे लोग इस देश के लिए, देश के संविधान, कानून और लोकतंत्र के लिए उचित होंगे।

शराब नीति घोटाला अपने आप में बड़ा बौद्धिक घोटाला है। ऐसी पॉलिसी बनाया गया जिससे सरकार को राजस्व का पहले से निर्धारित लाभ का बहुत कम हिस्सा मिले और यह लाभ सीधे-सीधे शराब ठेकेदार को मिले। इसमें शराब कारोबारी और मनीष सिसोदिया के बीच एक बेहतरीन कड़ी है, नाम है विजय नायर। विजय नायर शराब कारोबारी होने के साथ-साथ मनीष सिसोदिया के संबंधी भी हैं।

आबकारी नीति घोटाला बड़ा ही टेक्निकल है। आम आदमी की समझ से बाहर है। इसलिए एक तरफ जहां भाजपा सीधे-सीधे आबकारी घोटाला बता रही है, आम आदमी पार्टी की तरफ से पूछा जा रहा कितने पैसे का घोटाला? क्या कोई कागजात मिला? बहुत टेक्निकल और बौद्धिक मामला है, आम आदमी के समझ से देखा जाए तो।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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