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वे बच्चियों के शरीर नोंचते हैं, जब चाहे तब भोग के लिए बुलाते हैं।

वे उन बच्चियों को वस्तु की तरह परस्पर बांटते हैं। गिफ्ट की तरह पास करते हैं। वे बच्चियों से पैसे मंगवाते हैं। चोरी करने को प्रोत्साहित करते हैं। उनके जैसी और बच्चियों तथा सहेलियों को…

कामरेड समरेश बसु और फ़िल्मकार विमल रॉय का अमृत कुंभ !

अरे कुंभ नहीं पसंद है , कोई बात नहीं । गोली मारिए , कुंभ को । पर नाग बन कर , फ़न काढ़ कर , नित्य प्रति , क्षण -क्षण खड़े रहना इतना ज़रूरी है ?

छावा: चालीस दिनों तक तड़पाने के बाद शम्भू जी और कवि कलस के शरीर को टुकड़ों में काटा…

सिकन्दर से अब्दाली तक हर बार क्रूरता की नई परिभाषाएं देखी लोगों ने, छील दिए गए चमड़े के ऊपर नमक का लेप स्वीकार किया, रस्सियों में बंध कर पशुवत जीवन स्वीकार किया, पर स्वाभिमान त्यागना स्वीकार…

Chhava में छत्रपति शम्भाजी महाराज पर दर्शाए अत्याचार अतिरंजना नहीं, सच्चाई है।

जो योगेंद्र सलीम यादव ncert की बुक्स में लिखवाता है कि औरंगजेब टोपियां सिल कर गुजारा करता था, जो इरफ़ान हबीब बताता है कि वह तो दानी था, जो रोमिला आंटी आज भी मुगलों की याद में मल्टीपल ऑर्गेज़म…