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Politics

कोई कुछ भी कहे, कंगना मुझको तो अच्छी लगती हैं!

कंगना जैसी हैं, वैसी क्यों हैं? वो इतनी बदतमीज़ और मुँहफट क्यों हैं? उन्हें इतना ग़ुस्सा क्यों आता है? जब वो आप की अदालत में आईं तो अपनी पैरवी करने का उनका अंदाज़ वैसा ही था, जैसे तनु-मनु…

साधु जैसे दिखने वाले बलराम बोस ममता के अत्याचार के विरुद्ध मुखर प्रतिरोध के प्रतीक बन…

बलराम बोस बताते हैं कि उन्होंने प्रशासन को इशारे से कहा कि सत्ता की गुलामी से मुक्त हो कर तनिक मनुष्य की भांति भी सोच लो। तुम्हारे घरों में भी बेटियां हैं, तुम्हे हमारे साथ खड़ा होना चाहिए।

अजमेर दरगाह के मुस्लिम खादिमों द्वारा राजस्थान की कांग्रेस सरकार के संरक्षण में हिंदु…

अजमेर सेक्स बलात्कार ब्लैकमेल कांड जिसमें सभी मुस्लिम अभियुक्त थे और जिसमें सभी बलात्कार पीड़ित लड़कियां हिंदू थी उसकी ऐसी बहुत सी महत्वपूर्ण बातें जो मीडिया में नहीं बताई गई।

दुनिया बहुत बड़ी है, अपने दिमाग़ को खोलो, उसको बेमाप विस्तार दो।

हिन्दी के इतने बड़े कवि के लिए आचार्य शंकर का कोई अस्तित्व क्यों नहीं? अद्वैत-वेदान्त से उसे कोई लेना-देना क्यों नहीं?

मुस्लिम समाज और वामपंथी समाज जितना कट्टरपंथी कोई और समाज नहीं है

पढ़े-लिखे जाहिल भी भारत माता की जय बोलना अपराध समझते हैं । भारत माता की जय बोलने वालों को अस्पृश्य समझते हैं । इन जाहिल और जंपट लोगों को वंदे मातरम ही नहीं जन गण मन गाने में भी अपराध दीखता…

त्रेता युग के सब से बड़े राम भक्त अगर हनुमान हैं तो कलयुग के बड़े राम भक्त कल्याण सिंह

कल्याण सिंह न होते , उन की डिप्लोमेसी , उन की तिकड़म न होती , तो अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कभी नहीं होता।

विष्णु देव साय का कितना नियंत्रण

साय सरकार के भीतर व बाहर जो नये शक्ति केंद्र बन गए हैं , उससे यह सोच पाना मुश्किल है कि वास्तव में सरकार कौन चला रहा है? मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय या कोई और? कहा जाता है कि साय दरअसल दबाव…

जब बंट गया था देश !

भागती लड़कियां मरने से पहले एक बार यह सोच कर मर जाती थीं कि जो युवक उनका दुपट्टा खींच रहा है, उसे पिछले ही सावन में उसने राखी बांधी थी। वह पहले दुपट्टा खींचता, फिर हाथ, फिर टांग...