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Politics
हिंदू यदि शांतिपूर्वक अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता है तो वामपंथियों के पेट में दर्द…
किसी की हिम्मत नहीं है कि मुसलमानों और ईसाइयों के रीति रिवाज़ों पर कोई उँगली उठा दे ।
लव यू इज़राइल । लव यू टू ।
अल्ला की दुआ से आप औरत को खेती समझ कर दर्जनों बच्चों की फसल तो उगा सकते हैं पर कोई बुद्धि और तकनीक वाला आप की इस फ़सल को तनिक भर में स्वाहा कर सकता है ।
अगर वक्फ को रोका नहीं गया तो इसे ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह पाँव पसारते देर नहीं लगेगी
अब जब वक़्फ़ बोर्ड को केवल प्रतीत होना ही काफ़ी है किसी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने के लिए तो उनके लिए हिंदुस्तान की किसी ज़मीन पर दावा करना मुश्किल नहीं है । फ़ैसला भी उन्हीं को करना है ।…
चित्तौड़ संसार में क्षत्रिय स्वाभिमान का आदर्श बना हुआ है
पूर्णाहुति अपने योद्धा पूर्वजों के प्रति मेरी श्रद्धा है। मेरा प्रणाम, मेरा समर्पण, मेरी निष्ठा... संसार को नहीं, स्वयं को दिया गया एक भरोसा कि वे सदैव मेरे लिए देवतुल्य ही रहेंगे।
मोदी विरोधियों को अपनी चुप्पी से अप्रासंगिक बना देते हैं
मोदी का धुर विरोधी भी मानता है कि सन चौदह के बाद भारत में बदलाव तो आया है। वह भले उस बदलाव की आलोचना करे, उसे दिन भर कोसता रहे, पर इस बदलाव को नकार नहीं पाता। यही आपकी जीत है, यही आपकी सफलता…
पेजर्स ब्लास्ट होने के बाद हिजबुल्लाह अब पेजर्स की जगह,कबूतरों का इस्तेमाल करेगी
पेजर ब्लास्ट होने के बाद हिजबुल्लाह के कर्मचारीयों को 72 हूरें क्या उन्हें कुबूल करेंगी,जब उनके पास,उनके पुरुषत्व की पहचान करवाने वाले महत्वपूर्ण ऑर्गन ही नहीं बचे?
उन जातियों के नौजवानों से जिनका कोई वोट बैंक नहीं है
जातिगत जनगणना लोकतंत्र का सबसे विद्रूप रूप है । मैं उन जातियों के नौजवानों का आह्वान करता हूँ जिनकी संख्या किसी का वोट बैंक बनने लायक़ नहीं है कि वे जम कर पढ़ाई करें ।
हिंदी लेखकों और पत्रकारों के साथ घटतौली की अनंत कथा
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा भले न हो बाज़ार की सब से बड़ी भाषा है इस दुनिया में। हिंदी से ज़्यादा न सिनेमा बनता है, न धारावाहिक, न अखबार हैं हिंदी से ज़्यादा, न हिंदी से ज़्यादा किताबें छपती हैं…
हिंदी दिवस पर हिंदी शब्दों को बचाने का संकल्प लें, शब्द बचेंगे तो भाषा बचेगी
जब नमस्ते नमस्कार की जगह हाय हैलो और भाई की जगह ब्रो स्थापित होगा तो भाषा मरेगी ।
हम हिंदी की जय जयकार करने वाले कुछ थोड़े से बचे रह गए लोग
Positive India: Dayanand Pandey:
जैसे नदियां , नदियों से मिलती हैं तो बड़ी बनती हैं , भाषा भी ऐसे ही एक दूसरे से मिल कर बड़ी बनती है। सभी भाषाओँ को आपस में मिलते रहना चाहिए। संस्कृत , अरबी ,…