Browsing Category
Politics
ज़ुबैर क्यों चाह रहा है कि सड़कों पर बैठी इन गायों का क़त्ल कर दिया जाए ?
ज़ुबैर कहता है, सॉल्यूशन बोलूंगा तो प्रॉब्लम हो जायेगा। ज़ुबैर को सॉल्यूशन नहीं पता है। वह इतना भर चाहता है कि इन गायों का क़त्ल करवा दिया जाए। पर मैं ज़ुबैर को किस मुँह से दोष दूँ जब इस देश…
गाय को लेकर वामपंथी हिंदुओं की भावनाओं को समझने को क्यों नहीं तैयार हैं ?
रामचरितमानस में रावण द्वारा सीता को घसीट कर अपहृत करने का वर्णन करते समय तुलसी ने मर्मभेदी उपमा दी है जो गाय को ले कर हिंदू संवेदनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालती है ,
अधम निसाचर लीन्हें जाई…
प्रतिभाहीन रेगिस्तान !
आलम यह है कि 96 प्रतिशत पर भी आप को विश्वविद्यालय में एडमिशन ही नहीं मिलता जब कि पचास प्रतिशत वाले को धड़ल्ले से एडमिशन मिल जाता है । तब पढ़ेगा भी कौन इस देश में । मेरिट का आलम यह है कि चौरासी…
पढ़-लिख कर भी कट्टर भए !
हामिद अंसारी शरिया अदालत की पैरवी में भी आतुर दिखा । संवैधानिक पद पर रहना , डिप्लोमेट रहना सब ध्वस्त हो गया इस एक नीचता में । और डाक्टर ज़ाकिर नाईक ? कभी चिकित्सक रहे इस व्यक्ति को वहाबी…
भाजपा समर्थक केशव प्रसाद मौर्य से मुक्ति पाने के लिए क्यों छटपटा रहे हैं?
पिछले चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को पल्लवी पटेल ने हरा दिया था।
अगर केंद्रीय नेतृत्व मौर्य को योगी जी पर तरजीह देता है तो भाजपा की लुटिया डूबी समझिये ।
लालकृष्ण आडवाणी ने पत्रकारों को क्यों कहा था कि आप को तो बैठने के लिए कहा गया था…
तमाम फालतू फिल्मों की शानदार समीक्षा आखिर किस गणित के तहत होती हैं । संजू फिल्म में जिस तरह मीडिया को कुत्ता बता कर दुत्कारा और हिट किया गया है , उस पर मीडिया जगत में कोई नाराजगी या कसैलापन…
यूपी में योगी के विरोध में विधायकों को क्यों उकसाया जा रहा है?
हर नेता के उत्थान की राह में षड्यंत्र अपने ही लोग करते हैं। जो भी विधायकों को उकसा रहे हैं, वो यह भूल जाएँ कि योगी के चेहरे के बिना भाजपा 2027 में वापसी कर लेगी। योगी को यूपी से हटाने का…
हम भारत के लोग!
दुर्भाग्य का मारा व्यक्ति उस बदहवासी में अपने ही लोगों के विरुद्ध बोलने लगता है। तो क्या ऐसी ही किसी एक बात की पूंछ पकड़ कर एक बलिदानी की विधवा और माता का सोशल मीडिया ट्रायल कर दें?
असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में ‘जय फिलिस्तीन’ ही क्यों कहा ? जय…
लेफ़्ट-लिबरल्स की पूरी लड़ाई मुसलमान को और ज़्यादा मुसलमान बनाए रखने, पिछड़ा और दकियानूसी बनाए रखने के लिए है और यहीं से 'जय फिलिस्तीन' के नारे लामबंदी की मंशा से बुलंद होते हैं, जबकि…
कल्कि प्रभास से अधिक अमिताभ की फिल्म है।
"अर्धशती की होकर के भी षोडष वर्षी मधुशाला!" अमिताभ 82 वर्ष में भी षोडश वर्षी ही हैं।