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Politics
ग़ज़वा और मुनाफ़िक़ के बारे में आपको जानना चाहिए
ग़ज़वा उन छोटी बड़ी जंगों को कहते हैं जिनमें पैग़ंबर ने ख़ुद हिस्सा लिया । मुनाफ़िक शब्द़ उन मुसलमानों के लिये इस्तेमाल होता है जो भय या प्रलोभन के कारण मुसलमान तो हो गये लेकिन दिल से अभी भी…
अंबेडकर अब अफ़ीम हैं
नेहरू तो अंबेडकर को न संविधान सभा में रखना चाहते थे , न अपने मंत्रिमंडल में ।
लगता है कश्मीर में फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने संभल से प्रेरणा ली थी
संभल फाइल्स :कश्मीर फाइल्स जैसी शानदार फ़िल्म बनाने वाले विनोद अग्निहोत्री क्या संभल फाइल्स बनाने पर भी विचार कर सकते हैं ?
सम्भल में जो दिख रहा है वह किसी छोटे पराजय से हुए नुकसान की भरपाई है।
पलायन वाली घटना की फाइल बाबा फिर खोल रहे हैं। कुंए की खुदाई चल रही है। आगे देखते हैं कि समय क्या खेल दिखाता है।
साय सरकार का एक वर्ष: नक्सल मुद्दे पर बेहतर
यदि किसी मीडिया कर्मी को सीएम से मिलना हो तो इसके लिए उसे भारी मशक्कत करनी पड़ती है. अफसरों का ऐसा घेरा मुख्यमंत्री को जमीनी हकीकत से वंचित करता. है राजनीतिक दृष्टि से भी यह प्रवृति पार्टी…
भारतीय भ्रष्ट ज्यूडिशरी सिस्टम उस जज के समान है जो अतुल को बर्बाद कर बीवी के नाजायज…
हिंदुस्तान उनके बाप का नहीं था, न अब है। लेकिन आज भी मुस्लिम समाज की दादागिरी और धौंस देखिए, आधी भूमि हड़पकर भी बिल्कुल अतुल की बीवी जैसा आचरण है
भारत के लिए एक नया संविधान समय की आवश्यकता है
लोहिया कहते थे कि ज़िंदा क़ौमें पाँच साल इंतज़ार नहीं करतीं और फ़्रांस कहता है कि ज़िन्दा क़ौमें एक संविधान से चिपकी नहीं रहतीं ।
पुष्पा जैसी सबसे अधिक कमाई करने वाली अधिकांश फिल्में हिंसा से भरी हुई है
यह धर्म का अनुशासन ही है कि ईरान से भाग कर आये सौ डेढ़ सौ पारसी न केवल हजार वर्ष से सुखमय जीवन जी रहे हैं, बल्कि टाटा के रूप में सबसे बड़े व्यवसायी और भाभा के रूप में सबसे बड़े वैज्ञानिक बन…
कुछ बाते कभी भूली नहीं जानी चाहिए
Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
हमें याद रहना चाहिए कि सन 1528 में एक क्रूर, असभ्य, अभद्र आतंकवादी ने अयोध्या में महाराज विजयचन्द( कन्नौज नरेश जयचंद के पिता! मन्दिर जयचन्द की…
अब दिल्ली की चुनौती
दिल्ली चुनाव के संदर्भ में सबसे खराब स्थिति कांग्रेस की रही है. हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी भीषण पराजय से दिल्ली पुन: दूर नज़र आने लगी है ।