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Editorial
इस बार केवल एक मन्दिर में देव की प्राणप्रतिष्ठा ही नहीं हो रही। यह युगपरिवर्तन का…
मनुष्य ईश्वर की प्राणप्रतिष्ठा कैसे कर सकता है? बकवास प्रश्न है यह। मनुष्य मूर्ति में ही नहीं, सृष्टि के कण कण में देवता को देख सकता है, पर इसके लिए हृदय में श्रद्धा होनी चाहिये।
चंदखुरी के फुटहा मंदिर के खंडहरों की खामोशियों को सुनिए। वे राम कथा सुनाती हैं
फुटहा मंदिर आठवीं शताब्दी का है, और तुलसीदास जी यही कोई 500 बरस हुए। फुटहा मंदिर में राम कथा के प्रसंग उत्कीर्ण हैं। अर्थ यह हुआ कि तब लोग न केवल राम को जानते थे, बल्कि रामकथा भी जानते थे।
अरे ये तो हमारे प्रभु हैं! अरे हमारे प्रभु श्री राम आ गए!!
चौदह वर्षों की प्रतीक्षा पूरी हुई थी, प्रसन्नता अश्रु बन कर सबकी आंखों से झरने लगी। रुंधे गले से चिल्ला कर निषादराज ने कहा, "सभी अयोध्या चलने की तैयारी करो, प्रभु वहीं जा रहे हैं..."
अखिलेश को नहीं मालूम कि भाजपा ने मंडल और कमंडल की दूरी को ख़त्म कर दोनों को एक कर दिया…
सैकड़ो स्वामी प्रसाद मौर्य और ओमप्रकाश राजभर अखिलेश के साथ चले जाएं। मंडल-कमंडल अब अलग होते नहीं दीखते। फेवीकोल का जोड़ लग गया है।
मोदी सरकार किसी दशा में बहिरागत मुसलमानों को नागरिकता क्यों नहीं देगी?
आख़िर धर्म के नाम पर ख़ून ख़राबा कर के बने हुये पाकिस्तान के मुसलमानों को भारत क्यों नागरिकता दे ?
एक ही गीतकार, एक ही साल में दो बातें कैसे लिख सकता है?
हम चाहे जितने रैशनल हों, उस परम्परा के ही हिस्से हैं, जिसमें सदियों से ईश्वर की प्रार्थना की जा रही है। जब हम अपने विपरीत जाकर कोई चीज़ लिखते हैं, तब वह परम्परा हम में से बोलने लगती है।
हम सौ साल तक भारत से जंग नहीं चाहते – पाकिस्तान
इस्लाम का लक्ष्य पूरी दुनिया को इस्लामी झंडे के नीचे लाना है । ग़ज़वा ए हिंद उनकी हदीसों में दर्ज है । सौ बरस का इंतज़ार कर लेंगे वह ।
राहुल गांधी की यात्रा की हवा निकाल दी मायावती ने
मायावती लोगों की हवा निकालने में मायावती निपुण हैं। कभी मुलायम की निकाली थी।
नववधुएं इतनी निष्कवच क्यों होती हैं? क्या इसलिए कि वे सबसे सुंदर होती हैं?
ऋत्विक घटक की फ़िल्म 'तिताश एक्टी नोदीर नाम' में नववधू को नौका से दस्यु अपहृत कर लेते हैं।
महान फ़ुटबॉल खिलाड़ी फ्रांत्स बेकेनबॉउर का हुआ निधन
Positive India:Sushobhit:
जर्मनी के सर्वकालिक महान फ़ुटबॉल खिलाड़ी फ्रांत्स बेकेनबॉउर का पिछले दिनों निधन हो गया। अंग्रेज़ी अख़बारों ने उनके क़द के अनुरूप उन पर विपुल सामग्री दी। लेकिन हिन्दी…