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Editorial
राहुल गांधी , अखिलेश यादव और तेजस्वी में कौन बेहतर है ?
Positive India: Dayanand Pandey:
अगर मुझ से कोई पूछे तो तमाम असहमतियों और नापसंदगी के बावजूद मैं तेजस्वी यादव का नाम लूंगा। भले नौवीं फेल हो , क्रिकेट में भी क़ामयाब न हुआ हो तो भी नीतीश…
हल्द्वानी दंगा गवाह है कि कांग्रेस ने उत्तराखंड को बर्बाद कर देने की पूरी योजना बना…
उत्तराखंड के निवासी पिछले कई वर्षों से लगातार इस इस अवैध कब्जे का विरोध करते रहे हैं। "ये बेचारे और कहाँ जाएंगे" की फर्जी दलील के बल पर कोर्ट भी उनका साथ नहीं देता, और कांग्रेस की तो…
नेहरू कभी भी किसी के सामने नहीं रोते तो क्या कोई और नहीं रो सकता
नेहरू तो नेहरू , इंदिरा गांधी को भी फ़िरोज़ गांधी , नेहरू और फिर संजय गांधी की मृत्यु के बाद भी किसी ने कभी रोते नहीं देखा। संजय गांधी को भी किसी ने कभी रोते नहीं देखा। राजीव गांधी , सोनिया…
आंदोलनजीवी एक धंधा क्यों है?
आंदोलन तो बिना प्रोफेशनल आंदोलनकारियों की सेवायें लिये हो ही नहीं सकता ।
आडवाणी बीज हैं , नरेंद्र मोदी उस का फल
लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न क्या मिला , कई सारे पके-अधपके फोड़े फूट गए हैं। इन फोड़ों का बदबूदार मवाद , ऐसे बह रहा है जैसे नाबदान में सीवर का पानी।
आडवाणी जी के साथ फ्रेम अब पूरा हुआ।
आडवाणी जी राष्ट्रवादी राजनीति में संघर्ष का सबसे प्रमुख चेहरा हैं। उनकी यात्रा राजनीति को टोपी से तिलक तक लाने की यात्रा रही है।
हाय ! हम क्यों न हुए खुशवंत !
खैर बात यहां हम खुशवंत सिंह की कर रहे हैं। वह खुशवंत सिंह जो खुद को संजय गांधी का पिट्ठू कहता था। पर क्या सचमुच ही वह पिट्ठू था किसी का? मुझे तो लगता है कि खुशवंत सिंह अगर किसी एक का पिट्ठू…
बाबा को पढ़ते पढ़ते…
यह राष्ट्र महादेव की डीह है। यहाँ जब जब कुछ शुभ होगा, महादेव किसी न किसी रूप में आ ही जायेंगे... हर हर महादेव!
मजबूरी का नाम महात्मा गांधी
गोडसे ने पैर छू कर , गांधी को गोली मार दी। पर नेहरु ने उन्हें जीते जी मार दिया था।
अयोध्या में राम मंदिर में भीड़ अब कभी कम होने वाली क्यों नहीं है?
करोड़ों लोग तो भीड़ कम होने की प्रतीक्षा ही कर रहे हैं । और अभी रामनवमी आने वाली है जो इस बार ऐतिहासिक होगी । रामनवमी की भीड़ में सरयू पर पीपे का पुल मैंने बचपन में टूटते हुए देखा है । आज से…