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Editorial

गीता कहती है कि संसाररूपी जो वृक्ष है, उसमें मूल ऊपर है, शाखाएँ नीचे हैं!

जैसे वृक्ष की जड़ें पाताल में होती हैं और वहाँ से वृक्ष का तना फूटकर आकाश की ओर बढ़े चला जाता है, उसके ठीक उलट, जो सर्वोच्च पद है, उस ब्रह्म से संसार की व्युत्पत्ति होती है और उसके बाद…

भस्मासुर बनाने और निपटाने में भाजपा की कैफ़ियत

मोदी ने कांटे से कांटा निकाल कर अरविंद केजरीवाल को कहीं का नहीं छोड़ा। कंगाल बना दिया। अरविंद केजरीवाल नाम का भस्मासुर निपट गया है।

नरेंद्र मोदी ड्राईक्लीनर्स दुनिया का बेस्ट ड्राईक्लीनर्स

राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में नरेंद्र मोदी ड्राईक्लीनर्स ने आज कांग्रेस की जो धुलाई की है , डेढ़ घंटे से अधिक की है , कलफ़ लगा-लगा कर की है , कि पंजा चीथड़े-चिथड़े हो गया…

अमेरिका ने अवैध रूप से घुसे भारतीय आप्रवासियों को भारत भेजना शुरू कर ही दिया

डोनाल्ड ट्रंप की भारत में बहुत ज़रूरत है । कोशिश करके एक बार भारत सरकार की बागडोर उन्हें दे दी जाये तो शायद भारत में भी स्वच्छता अभियान शुरू हो सके । भारत में किसी नेता में इतना दृढ़प्रतिज्ञ…

विपश्यना, वासना और प्रेम का द्वंद्व: एक मनोवैज्ञानिक यात्रा

यह उपन्यास एक सशक्त मनोवैज्ञानिक यात्रा है,जिसमें अतीत और वर्तमान के बीच झूलते हुए, पात्रों की आंतरिक दुनिया और बाहरी घटनाओं का अद्भुत मेल है।

महाकुंभ में सम्पन्न होगा सदानीरा त्रिवेणी लोक विमर्श

डेढ़ दो महीने चलने वाले संसार के सबसे बड़े मेले में जीवन का हर रंग उभरता है। उल्लास, आनन्द, भय, दुख, अवसाद... इस बार ही नहीं, हर बार... सारे भाव साथ दौड़ते हैं, पर अंततः जीतता है उल्लास! वही…

कभी नहीं जन्मे, कभी मरे नहीं…

10 अप्रैल 1989 को रजनीश ने अपने जीवन का अंतिम सार्वजनिक व्याख्यान दिया। यह 'द ज़ेन मैनिफ़ेस्टो' पुस्तक में संकलित हुआ है। वह व्याख्यान इन शब्दों के साथ समाप्त हुआ था : "गौतम बुद्ध के अंतिम…

ज्ञानी , मनमोहन और खड़गे की कैफ़ियत

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी देखते ही खड़े हो जाते हैं। राहुल के बैठने के लिए कुर्सी छोड़ देते हैं। प्रियंका गांधी के नामांकन के समय बच्चों की तरह झांकते हुए बाहर खड़े रहते हैं। इतना…

अगर कुंभ जितनी संख्या में अरबी, बंग्लादेसी, या रोहिंग्या इकट्ठे हों तो वे एक दूसरे को…

दुर्घटना से विचलित हो कर श्रद्धालुओं को भी उदण्ड या लापरवाह कहने वाले भी अनेकों लोग मिल जाएंगे, पर मैं उलट सोचता हूँ। मेरे हिसाब से इससे अधिक नियंत्रित भीड़ नहीं मिलेगी दुनिया में।

भारत में घुसे अवैध आप्रवासी अमेरिका की घटनाओं को बड़े ग़ौर से देख रहे हैं

ज़ंजीरों में जकड़ कर घुसपैठिये निकाले जा रहे हैं । और भारत में सीएए और एनआरसी को लाये हुए पाँच साल हो गये मगर कुछ न हुआ ।