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Editorial

अगर हम क्रांतिकारियों के यशोगान के मुक़ाबले ग़द्दारों के लिए शर्मिंदगी महसूस करते और…

गाँधी को कितना भी उलाहना दें मुल्क में इतने ग़द्दारों के रहते कोई क्रांतिकारी आंदोलन सफल होना संभव ही न था । रास्ता गाँधी का ही सही था ।

मार्क्स और डार्विन

"जैसे डार्विन ने जैविकी की अंदरूनी प्रक्रियाओं की खोज करके उनमें एक अनुक्रम स्थापित किया था, उसी तरह से मार्क्स ने हमें बताया था कि इतिहास मनुष्यों के जीवन का यांत्रिक संकलन भर नहीं है,…

पाकिस्तान में रावी नदी पर बने नए पुल पर मोदी की गाज क्यों गिर गई?

Positive India: Rajkamal Goswami: ३१ दिसंबर १९२९ में लाहौर में रावी नदी के तट पर तिरंगा फहरा कर पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की गई थी और २६ जनवरी १९३० से प्रतिवर्ष देश में पूर्ण स्वराज्य दिवस…

वो कौन लोग हैं जो भारत माता की जय कहने को भी गाली समझते हैं?

पर इन दंगाइयों और आतंकियों को मां की फ़िक्र कहां है भला ? वह तो इसी गुमान में जीते हैं कि उन की कोई मां नहीं है और जाने किस गुमान में , अपनी बेहूदगी में कहते फिरते हैं कि किसी के बाप का…

सन्देशखाली में नव ब्याहता को कुछ दिन पार्टी कैडर के नेताओं को “खुश” करने…

सन्देशखाली में सुंदर स्त्रियों को उनके पति व बच्चों से अलग कर दिया जाता। वह तभी वापस घर जा पाती जब शाहजहां शेख और उसके गुर्गे तृप्त हो जाते।

पंजाब के अराजक और हिंसक किसान किसानों के नाम पर धब्बा क्यों हैं?

किसान के नाम पर धब्बा हैं यह किसान। अराजक शक्तियों के हाथ बिके हुए यह लोग देश और समाज का जितना नुकसान करते ही जा रहे हैं। इन को कुचल कर रख देना चाहिए। क़ानून व्यवस्था , देश और समाज के लिए…