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Editorial

जिस की पताका ऊपर फहराई

आरक्षण भक्षण प्रेमी लोगों के आरक्षण खत्म हो जाने के भय की मार्केटिंग और साढ़े आठ हज़ार रुपए महीने की मुफ़्तख़ोरी की लालसा में लोगों ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को कुचल कर रख दिया। बंग्लादेशी और…

पाकिस्तान ने क्यूं कबूला कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है?

अब जब पाकिस्तान ने कश्मीर को विदेश मान ही लिया है तो भारत को अपने बिछड़े हिस्से को फ़ौरन मदद पहुँचानी ही पड़ेगी । यह काम पहली फ़ुरसत में करना होगा ।

अब आरक्षण बन गया है प्रतिभा पलायन का बड़ा कारण

देश और देश की सेवाएं प्रतिभावान बच्चों से वंचित हो रही हैं तो आरक्षण की बला से । देश प्रतिभाहीन लोगों के कचरे से पटा जा रहा है । ऐसे जैसे प्लास्टिक का कचरा हो । प्रतिभा पलायन अब एक नासूर बन…

आत्महत्या की अंधी सुरंग में ख़ुद को झोंकते ही पहली प्रतिक्रिया क्या होती है?

मृत्यु से ठीक पहले शरीर किसी बनैले पशु की तरह जाग जाता है और मन को अपने बस में कर लेता है. प्राणों में, धमनियों में एक हूक गूंजने लगती है-- "क्या इसे अब बदला नहीं जा सकता? जीना इतना भी कठिन…

गाँधी ने किसी को अंग्रेजों के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति करने से रोका था क्या?

निस्संदेह देश की आज़ादी में लाखों करोड़ों लोगों का सहयोग रहा लेकिन श्रेय लीडर को ही मिलता है । वह लोगों के पुरुषार्थ को सही दिशा में ले जाता है । गाँधी के सत्याग्रह को अपना कर ही मार्टिन…

इस एंटी मोदी स्क्वॉड के क्या कहने !

एंटी मोदी स्क्वॉड की एक और तकलीफ़ अभी सामने आई है चुनाव प्रचार ख़त्म होने के बाद कन्याकुमारी में विवेकानंद मेमोरियल में मोदी के ध्यान की। एंटी मोदी स्क्वॉड के कबीले के सारे सूबेदार एक सुर में…

इस्राइल हमास की तब तक पिटाई करेगा जब तक हमास का नामोनिशान नहीं मिट जाता

इतने सारे इस्लामी मुल्क क्यों हमास की पिटाई चुपचाप देख रहे हैं ? और तो और मिस्र और जॉर्डन जैसे पड़ोसी मुल्कों ने तो ग़ाज़ा के शरणार्थियों को लेने से भी साफ़ इन्कार कर दिया । अगर संभव होता तो…

क्या होता यदि सुभाष चंद्र बोस भारत में जीवित लौट आते?

Positive India:Rajkamal Goswami: सन ४५ में विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद आज़ाद हिंद फ़ौज के बहुत से सैनिक भारत वापस आ गये । साधारण सैनिकों को तो अंग्रेजों ने कुछ नहीं कहा और वे चुपचाप अपने…

छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर अंतिम लड़ाई, क्या बस्तर में रुक पाएगी हिंसा?

यह बहुत स्पष्ट है कि केंद्र व राज्य सरकार ने नक्सलवाद व नक्सलियों के खात्मे का पक्का बंदोबस्त कर लिया है।

यह पुरुष प्रधान समाज स्त्रियों के लिए तेज़ाब की नदी है

स्त्रियों को अपना अस्तित्व , अपनी आज़ादी , अपना स्वाभिमान खुद तय करना होगा । स्त्री अभी भी पुरुष के बिना पतवार की नाव समझी जाती है । यह देवी रूप आदि भी बेमतलब का दिखावा है । यत्र नार्यस्तु…