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Editorial
जीवित रहते दुर्भाग्यशाली और जीवन के बाद सौभाग्यशाली होने की अजीब विडंबना मुक्तिबोध ने…
Positive India:Jai Prakash:
दुर्भाग्य ने मुक्तिबोध का पीछा अंत तक नहीं छोड़ा। वह भोपाल के हमीदिया अस्पताल और दिल्ली के एम्स में करीब छह महीने तक भर्ती रहे। बचाने की तमाम कोशिशें डाक्टरों…
राम कथा का प्रामाणिक स्रोत कौन सा है ?
सबरी के जूठे बेरों वाली कथा एक बहुत बड़े वर्ग को यह आत्मविश्वास देती रही है कि जब जगतनियन्ता हमारे घर भोजन कर सकते हैं तो हम छोटे कैसे हुए?
गुरु दक्षिणा का नाम आते ही सबसे पहले एकलव्य और द्रोणाचार्य की कथा ही मनोमस्तिष्क में…
गुरुओं को कभी एकलव्य जैसे शिष्यों की कामना नहीं करनी चाहिए । जिस तरह साधक सद्गुरु की खोज में रहता है उसी तरह सद्गुरु को भी पात्र शिष्य की खोज रहती है ।
लियोनल मेस्सी का अर्जेन्तीना के लिए लगातार चार फ़ाइनल हारना और फिर लगातार चार फ़ाइनल…
सचिन तेंदुलकर ने 20 साल से ज़्यादा समय तक खेलने के बाद विश्व कप जीता था, मेस्सी ने भी इंटरनेशनल-ग्लोरी के लिए दो दशक इंतज़ार किया। जब वे खेल को अलविदा कहेंगे तो उससे पूर्व ही फ़ुटबॉल के…
उन को मुस्लिम वोट चाहिए , इन को हिंदू ग्राहक
मुस्लिम को हिंदू नेता नहीं पर बहुसंख्यक हिंदू ग्राहक चाहिए। नहीं व्यापार बैठ जाएगा। हलाल सर्टिफिकेट का जूनून भी चाहिए। गाय का मांस भी चाहिए। खाद्य सामग्री पर थूकने आदि का अधिकार भी चाहिए।…
ज़ुबैर क्यों चाह रहा है कि सड़कों पर बैठी इन गायों का क़त्ल कर दिया जाए ?
ज़ुबैर कहता है, सॉल्यूशन बोलूंगा तो प्रॉब्लम हो जायेगा। ज़ुबैर को सॉल्यूशन नहीं पता है। वह इतना भर चाहता है कि इन गायों का क़त्ल करवा दिया जाए। पर मैं ज़ुबैर को किस मुँह से दोष दूँ जब इस देश…
गाय को लेकर वामपंथी हिंदुओं की भावनाओं को समझने को क्यों नहीं तैयार हैं ?
रामचरितमानस में रावण द्वारा सीता को घसीट कर अपहृत करने का वर्णन करते समय तुलसी ने मर्मभेदी उपमा दी है जो गाय को ले कर हिंदू संवेदनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालती है ,
अधम निसाचर लीन्हें जाई…
प्रतिभाहीन रेगिस्तान !
आलम यह है कि 96 प्रतिशत पर भी आप को विश्वविद्यालय में एडमिशन ही नहीं मिलता जब कि पचास प्रतिशत वाले को धड़ल्ले से एडमिशन मिल जाता है । तब पढ़ेगा भी कौन इस देश में । मेरिट का आलम यह है कि चौरासी…
पढ़-लिख कर भी कट्टर भए !
हामिद अंसारी शरिया अदालत की पैरवी में भी आतुर दिखा । संवैधानिक पद पर रहना , डिप्लोमेट रहना सब ध्वस्त हो गया इस एक नीचता में । और डाक्टर ज़ाकिर नाईक ? कभी चिकित्सक रहे इस व्यक्ति को वहाबी…
भाजपा समर्थक केशव प्रसाद मौर्य से मुक्ति पाने के लिए क्यों छटपटा रहे हैं?
पिछले चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को पल्लवी पटेल ने हरा दिया था।
अगर केंद्रीय नेतृत्व मौर्य को योगी जी पर तरजीह देता है तो भाजपा की लुटिया डूबी समझिये ।