www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

लेकिन मोदी की जगह राहुल गांधी को हरगिज नहीं चुन सकते

-दयानंद पांडेय कलम से-

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India:Dayanand Pandey:
राहुल गांधी , कांग्रेस , भाजपा , नरेंद्र मोदी या किसी भी की ग़लत बात या काम पर ठप्पा हम तो नहीं लगा सकते। लेकिन मोदी की जगह राहुल गांधी को हरगिज नहीं चुन सकते। मोदी ने बहुत से अलोकप्रिय काम किए हैं। ग़लत काम भी। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल विधान सभा में हुई हिंसा पर उन्हों ने सख्त कदम नहीं उठाया। जाने कितने लोग जान से हाथ धो बैठे। हज़ारों लोग पलायन कर गए। संसद में कृषि बिल जिस तरह पास करवाया गया , ग़लत था। पर दिल्ली के लालक़िले और आई टी ओ हिंसा पर भी वह लुंज-पुंज दिखे।

कृषि बिल वापस लेना भी ग़लत फ़ैसला है। वोट की लालच में शाहीन बाग़ का जारी रहने देने गलत था। गलत था , दिल्ली दंगे को समय रहते क़ाबू न कर पाना। टिकैत जैसे लोगों को मनबढ़ , ब्लैकमेलर और भस्मासुर बना देना भी मोदी के ग़लत फ़ैसले हैं। ठीक है पतंग ढील दे कर भी काटी जाती है। पर इतनी ढील ? फिर महबूबा मुफ़्ती की याद आ जाती हैं। 370 का खात्मा याद आ जाता है। मान लेता हूं कि कोई रणनीति होगी यह भी।

फिर भी अभी जो पंजाब के हुसैनीवाला में हुआ , उस पर भी तुरंत कोई सख्त कार्रवाई न करना , मनमोहन सिंह की याद दिलाता है। मोदी की कायरता दर्शाता है। ऐसे और भी कई और ग़लत काम किए हैं मोदी ने। लेकिन कोरोना और दुनिया की हालत देखते हुए भारत की अर्थव्यवस्था इतनी बुरी भी नहीं है। 80 करोड़ लोगों को दो साल से मुफ्त राशन आदि के मद्देनज़र अर्थव्यवस्था ठीक है। फिर एक फाइनल बात यह कि मोदी ने सकारात्मक काम ज़्यादा किए हैं , नकारात्मक कम। विकास की उन की बात में दम बहुत है। अब तक किसी भी प्रधान मंत्री ने इतने कम समय में इतने ज़्यादा काम नहीं किए। सड़क की तो जैसे क्रांति आ गई है। नए-नए एयरपोर्ट , बुलेट ट्रेन पर काम बहुत बड़ी उपलब्धि है।

अफ़सोस कि पुत्र मोह में सोनिया ने कांग्रेस की ऐसी-तैसी कर दी। आज भी पुत्र ननिहाल में आनंद ले रहा है। क्या इस चुनावी समय में इतने दिनों तक ननिहाल का आनंद लेना गुड बात है। फिर आप को अभी भी लगता है कि नरेंद्र मोदी सिर्फ़ हिंदुत्व का प्रतिनिधि है ? 2024 भी नरेंद्र मोदी के विजय के लिए आतुर है , बस जीवित रहे। हत्या न हो। यह लिख कर रख लीजिए। मैं किसी कमिटमेंट के तहत कभी नहीं लिखता। ज़मीन पर रहता हूं। सामान्य लोगों के बीच। जो पाता हूं , वही दर्ज करता हूं। जिस दिन भाजपा हारती दिखेगी , वह भी सब से पहले लिखूंगा।

अभी तो भाजपा बंपर वोटों से उत्तर प्रदेश विधान सभा जीतती दिख रही है। सपा तमाम उछल कूद के बावजूद डबल डिजिट पर ही रहेगी। दिक्कत यह है कि देश में विपक्ष के पास सत्ता पाने की ललक के सिवा कोई पक्ष नहीं है। इस के लिए मोदी नहीं , विपक्ष ही ज़िम्मेदार है। सहमति-असहमति , जीत हार अपनी जगह है। पर जनता और जनादेश का सम्मान न करना किसी के लिए शुभ नहीं है। असहमति जब घृणा और नफ़रत में तब्दील हो जाए , एकपक्षीय हो जाए तो भी लोकतंत्र ख़तरे में आ जाता है। दुर्भाग्य से आज की तारीख़ इसी घृणा और नफ़रत की साक्षी है।

मोदी नाम के दीमक का इलाज कांग्रेस के पास क्यों नहीं है। यही कांग्रेस की बड़ी मुश्किल है। कम्युनिस्ट ख़ुद ही जनाधार खो चुके हैं , अपनी हिप्पोक्रेसी में। और कांग्रेस ने मोदी और भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कम्युनिस्ट बुद्धिजीवियों को हायर कर रखा है। कांग्रेस के लिए बैटिंग करने वाले लेखक , पत्रकार भी अमूमन वामपंथी हैं। जो भारतीय परंपरा और मोदी के प्रति घृणा और नफ़रत के मारे हुए हैं। ज़मीनी सचाई नहीं , प्रतिबद्धता ही उन की थाती है। पोलिटिकली करेक्ट के मारे हुए हैं। कमिटमेंट की हिप्पोक्रेसी सेमिनारों में गगन विहारी बातें करने के लिए मुफ़ीद होती है। चुनावी लोकतंत्र में यह कमिटमेंट की हिप्पोक्रेसी काम नहीं आती। वामपंथी बुद्धिजीवियों को अब से सही , यह बात ज़रुर समझ लेनी चाहिए। घर में रोज आरती , भजन गाते हुए बाहर लाल सलाम की व्याधि और एन जी ओ की शाही समृद्धि भी एक जानी-पहचानी मुश्किल है। वर्ग शत्रु भूल कर जातिवादियों के लिए जंग के भी क्या कहने ! हिंदू राहुल गांधी का समर्थन एक अजब तिलिस्म है। तब जब कि धर्म अफीम है।

साभार:दयानंद पांडेय -(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Leave A Reply

Your email address will not be published.