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बुनियादी ढांचे पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश,

5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यस्था का लक्ष्य साध्य : मोदी

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पॉजिटिव इंडिया:नयी दिल्ली, 15 अगस्त ,
(भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में फैली व्यापक सुस्ती के बीच बृहस्पतिवार को निवेश के माध्यम से आर्थिक वृद्धि की पांच साल के एक सपने को लेकर प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिये बुनियादी ढांचे के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
मोदी ने वैश्विक व्यापार में देश का हिस्सा बढ़ाने के लिये निर्यात में सुधार लाने पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने देश के विकास में उद्योग जगत की भूमिका के महत्व को पुन:रेखांकित करते हुए कहा कि संपत्ति सृजित करने वाले देश की पूंजी हैं,उन्हें संदेह की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य समय से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और राजनीतिक स्थिरता के साथ भेरासेमंद नीतियां भारत में निवेश के लिये अन्य देशों को आकर्षित करने समेत वृद्धि की उत्प्रेरक बन सकती हैं।
उन्होंने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा,हमने 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। कई इसे मुश्किल कार्य मानते हैं। लेकिन अगर हम कठिन चीजें नहीं करेंगे, प्रगति कैसे करेंगे.उन्होंने कहा,‘हमें 2,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में करीब 70 साल लगे ओर पिछले पांच साल (भाजपा शासन) में हमने 1,000 अरब डॉलर जोड़ा। इससे हमें भरोसा मिला है कि अगले पांच साल में हम 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
मोदी ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों खासकर वैश्विक स्तर के बुनियादी ढांचा में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 5000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की प्राप्ति में मदद मिलेगी। यह निवेश सड़क निर्माण, हवाईअड्डा, बंदरगाह, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण में किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में आर्थिक वृद्धि दर तेज रही और 2016 और 2017 में 8 प्रतिशत के आंकड़े को भी पार कर गयी। सरकार माल एवं सेवा कर पेश करने समेत कई सुधारों को आगे बढ़ाने में कामयाब रही। लेकिन उसके बाद से वृद्धि दर धीमी हुई है और जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर आ गयी। इस बीच ग्राहकों का आत्मविश्वास कमजोर हुआ है तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक ऊंचाई पर पहुंच कर स्थिर बना हुआ है।
वाहन क्षेत्र भी करीब 20 साल के बड़े संकट से गुजर रहा है और हजारों की संख्या में नौकरियां जाने की खबर है। वहीं रीयल एस्टेट क्षेत्र में खाली पड़े मकानों की संख्या बढ़ी है। उद्यमियों ने विभिन्न नियमन और पूंजी की ऊंची लागत को लेकर निराशा जतायी है।
हालांकि प्रधानमंत्री ने आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। देश कम महंगाई दर के साथ विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है तथा निर्यात में वृद्धि की संभावना है।
कारोबारियों और उद्यमियों को राहत देते हुए उन्होंने कहा कि संपत्ति सृजित करने वालों का सम्मान होना चाहिए और उन्हें संदेह की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा‘संपत्ति सृजित करने वालों को कभी भी संदेह की नजर से नहीं देखे। जब सम्पत्ति सृजित होगी तभी संपत्ति का वितरण हो सकता है। संपत्ति सृजन बहुत जरूरी है। जो देश में संपत्ति सृजित कर रहे हैं, वे भारत की पूंजी हैं और हम उसका सम्मान करते हैं।
मोदी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये निर्यात में सुधार लाने पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा,हमारे उत्पादों का मूल्य वर्द्धन हो, दुनिया का कोई कोना ऐसा न हो जहां हमारे उत्पाद निर्यात के रूप में न पहुंचें, ऐसी सोच और लक्ष्य से हमारी आमदनी बढ़ेगी। निर्यात के अलावा उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए कहा कि हमारी प्राथमिकता देश में बने उत्पाद होने चाहिए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और एमएसएमई क्षेत्र में सुधार के लिये स्थानीय उत्पादों के उपयोग के बारे में हमें सोचने की जरूरत है।
मोदी ने कहा कि दुनिया भारत के साथ व्यापार करने को उत्सुक है। हमने यह देखा है कि लोग अपने उत्पादों के लिये भारत को एक बाजार बना रहे हैं। हमें भी दुनिया के बाजारों में पहुंचना चाहिए। आखिर प्रत्येक जिला निर्यात केंद्र क्यों नहीं हो सकता?…अगर हम वैश्विक बाजार को लक्ष्य बनाते हैं और स्थानीय उत्पादों को आकर्षक बनाते हैं, यह युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराएगा।

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