बुलडोजर कहीं न कहीं सड़ी हुई न्याय प्रक्रिया का अंश है।
-कुमार एस की कलम से-
Positive India:Kumar S:
अपराधियों के घर बुलडोजर चलाकर गिरा देना कोई बहुत संतोषजनक_स्थिति नहीं है।
यह ध्रुव सत्य है कि अपराधी को समय पर उचित सजा देने में अदालतें विफल हुई है। बुलडोजर अदालतों के इसी अनिर्णय और नाकारापन से उभरी एक हताशा भरी प्रतिक्रिया है। यह न्यायं व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है। चाणक्य ने कहा था, वह दण्ड ही क्या जिसकी व्याप्ति मनुष्य के अंतःकरण तक न हो।
आज जब अपराधी अपराध करते हैं, उन्हें पता है निर्णय होते होते पीढियां बीत जाएंगी, उन्हें इस बात का कोई भय नहीं है कि कानून का भी कोई रखवाला होता है।
बुलडोजर कार्यवाही केवल कुछ उत्साही जनों द्वारा अपराध की कमर तोड़ने के लिए अपनाई गई वैसी ही चतुर युक्ति है, जिस चतुराई का प्रयोग कर अदालतें अपराधी को बचाती रही है।
लेकिन यह स्वस्थ स्थिति कत्तई नहीं।
इससे अच्छी स्थिति तो यह है कि पब्लिक ही onspot न्याय कर दे। जनता का न्याय सबसे अच्छा न्याय होता है।
इससे भी अच्छी व्यवस्था समाज अपने लेवल पर यह निर्णय लेता था कि अपराधी के घर, परिवार और जमात का ही बहिष्कार कर देता था। न केवल बहिष्कार, उनका हुक्का पानी बंद। इससे भी सटीक व्यवस्था यह है कि मान लो कोई A समाज के व्यक्ति को B समाज का व्यक्ति कहीं मार दे, तो समग्र A समाज का कोई भी व्यक्ति, बदले में B समाज के किसी भी व्यक्ति को, और कितने ही व्यक्तियों को मर्जी पड़े तब ढूंढ ढूंढकर मार दे।
इजरायल इसी रणनीति पर है।
दुनिया के प्रत्येक यहूदी पर हुआ हमला उस जमात द्वारा इजरायल पर किया गया आक्रमण समझा जाता है और इसीलिए कुछ लाख यहूदी दुनिया में सर्वाइव कर पा रहे हैं।
बंगलादेश में एक हिन्दू के कटते ही समग्र बंगलादेशी मुस्लिम स्वतः वध्य हो जाते है। और यदि कोई मुसलमान इस आधार पर उन बंगलादेशी मुस्लिमों का समर्थन करता है कि वे उनके भाई है तो वे गैर बंगलादेशी मुसलमान भी उन्हीं की बिरादरी में गिने जाएंगे। यह मै नहीं कह रहा, चाणक्य नीति यही है, स्वयं मुसलमानों की भी यही नीति है। हसन हुसैन को मारने वाले हिन्दू नहीं थे लेकिन उनकी हत्या का मातम यहाँ मनाया जाता है। फ्रांस या अमेरिका में किसी मुस्लिम की हत्या पर भारतीय मुसलमानों की गांठ में खुजली होने लगती है। यहाँ प्रदर्शन होते है और दंगे भी। मोपला इसका उदाहरण है।
लेकिन दो बातें पुनः स्मरण दिलाता हूँ:
1.बुलडोजर कार्यवाही केवल बीजेपी शासित जगह ही होती है। इसी उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या पर गहलोत सरकार ने सरकारी संरक्षण में हत्यारों को रखा।
2.बुलडोजर कहीं न कहीं सड़ी हुई न्याय प्रक्रिया का अंश है। वास्तविक न्याय तो तभी होगा जब चाणक्य के अनुसार चलें। ठीक है, आज हिन्दू इस स्थिति में नहीं है, लेकिन जब होगा तो उसे रूल ध्यान होना चाहिए।
साभार:कुमार एस-(ये लेखक के अपने विचार हैं)