Positive India:New Delhi:
भारत में मिशन दिव्यास्त्र के तहत अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के लिए डीआरडीओ (DRDO) को बधाई दी है।
Agni-5 मिसाइल जमीन से जमीन पर मार करने वाली भारत की पहली और इकलौती इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, इसकी रेंज में पूरा चीन आएगा। इसके अलावा यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से भी इसकी जद में आएंगे।
भारत ने11 मार्च को न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Agni-5 Missile) की फ्लाइट टेस्टिंग की, जो सफल रही। इस मिसाइल की सफल फ्लाइट टेस्टिंग से भारत की जद में सिर्फ चीन और पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि आधी दुनिया आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत विकसित अग्नि -5 मिसाइल के पहले सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी हैं।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मिशन दिव्यास्त्र Agni-5 के लिए हमारे DRDO वैज्ञानिकों पर गर्व है. वैज्ञानिकों की मदद से मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी के विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट हुआ है.”
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में अग्नि-5 मिसाइल को ‘मिशन दिव्यास्त्र’ का नाम दिया है। अग्नि 5 मिसाइल की खासियत यह है कि यह एक मिसाइल कई टारगेट को हिट कर सकती है।
भारत के पास अग्नि (Agni) सीरीज की 1 से 5 तक मिसाइलें हैं। सभी अलग-अलग रेंज के हैं। अग्नि-5 इनमें से सबसे खास है। यह मिसाइल 5 हजार से भी ज्यादा दूर टारगेट को हिट कर सकती है। इसकी फ्लाइट टेस्टिंग की तैयारी काफी पहले से की जा रही थी। हालांकि, टेस्टिंग कब होगी, इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। इसके लिए ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 3500 किमी तक का क्षेत्र ‘नो फ्लाई ज़ोन’ घोषित किया गया था।
Agni-5 मिसाइल करीब डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ लेकर जा सकती है। इसकी रफ्तार अधिकतम 24 मैक है, यानी आवाज की रफ्तार से करीब 24 गुना ज्यादा।इसके लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
DRDO ने 2008 में अग्नि-5 पर काम शुरू किया था। DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI), एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (ASL), और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (DRDL) ने मिलकर इसे तैयार किया है । इस प्रोजेक्ट की डायरेक्टर भी एक महिला हैं। इस पूरे प्रोजक्ट में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल अलग-अलग लोकेशन पर कई वॉरहेड को तैनात कर सकती है। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ की सफल फ्लाइट टेस्टिंग के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास MIRV टेक्नोलॉजी है।
पांच हजार किलोमीटर से अधिक मार करने वाली अग्नि 5 मिसाइल का यूज़र ट्रायल जल्दी शुरू होने वाला है।