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बहिष्कार हो पूरे भांड बुड का जो हिंदू भावनाओ को बाजारू उपयोग का प्लेटफार्म बना चुका है

फिलम "लक्ष्मी" का विरोध अधिक और पुरजोर होना चाहिए।

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Positive India:Suresh Mistry:
फिलम तो अब भी हिंदू देवी संज्ञा वाचक नाम “लक्ष्मी” ही रहेगी…? बस हिननु भावना को सम्मान के नाम पर “बम” शब्द हटा भर लिया गया है….? एसी खबर सामने आ रही….!!

क्या औचित्य है, क्या नेगेटिव पब्लिसिटी कंट्रेवर्सी स्टाइल मार्केटिंग स्ट्रेटजी है..?

ख़ैर… यह तो स्यला होना ही था, टुच्या अच्चय, पहले “बम” जोड़ कर फिल्म की एडवांस नेगेटिव पीब्लिसिती लेे गया,……अब “बम” शब्द हटा कर हीननु भावना को सम्मान के नाम पर धीमी हिन्नुओ को ही फिलम की चिलम थमा कर करोड़ों कूटने का मन बना रहा….? 🤔

क्या हिंनु एक्चय कुम्हान की व्यावसायिक देश/हिननू भक्ति प्रोपोगेंडा में फंसेगा…?

या अर्नब पर मुकदमा करने में शामिल और कंगना के टूटते ऑफिस पर दुबक कर मौन, सुशांत पर मौन इस भांड की फिलम की चिलम स्वीकार करेगा…?

कुल मिला कर हीननू ने क्या सीखा…?इस पूरे प्रकरण से…?🤔

विरोध इस बात का है कि यह हिंदू धार्मिक भावना से खिलवाड़ को अपनी फिल्मों और साबुन, डिटर्जेंट और गहने जैसी प्रोडक्ट्स के लिए आहत करते नाम रखते है…विज्ञापन बनाते है…?

विरोध इस बात का अधिक और पुरजोर होना चाहिए कि यह सिर्फ़ हिंदू भावना को केंद्र में रखकर करते है…?

बस बहिष्कार हो पूरे भांड बुड का, हर उस उद्यमी का को हिंदू भावनाओ को बाजारू उपयोग का प्लेटफार्म बना चुका है सस्ती मार्केटिंग युग में…!

हिंदू और उसकी भावना सब खिलवाड़ के औजार कब तक रहेंगे…?

असली सवाल यह होना चाहिए।

साभार:✍️सुरेश(एफबी-ये लेखक के अपने विचार हैं)

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