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लव जिहाद में लड़की के होठों पर फेवीक्विक लगा कर टॉर्चर किया गया

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

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Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
वह मूर्ख लड़की उस लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप(Live-in relationship)में रहती थी। जानते हैं क्यों? क्योंकि उसने देखा, सुना होगा कि देश के सारे पढ़े लिखे बुद्धिजीवी, अभिनेता, साहित्यकार आदि लिव इन को ही जीवन जीने का आधुनिक और बढ़िया तरीका बताते हैं।
लड़की की मां इस अवैध रिश्ते का विरोध करती थी, क्योंकि लड़का दूसरे सम्प्रदाय का था। पर लड़की को माँ की बातें फालतू और दकियानूसी लगती थीं। क्यों? क्योंकि देश के पढ़े लिखे लोग कहते तो हैं- जाति/धर्म तो बकवास बातें हैं। विवाह के लिए जाति धर्म नहीं, दिल मिलना जरूरी होता है। उसका दिल मिल गया था, सो वह उसी के साथ रहने लगी थी।
पिछले दिनों लड़की की मां ने पुलिस केस किया था। पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा, तो लड़की उसके बचाव में खड़ी हो गयी। बताने लगी कि उसकी माँ ही अत्याचारी है, वही उसे मारती-पीटती रहती है। इसी कारण वह माँ को छोड़ कर अपने बाबू-सोना के साथ रहती है। पुलिस क्या करती? छोड़ना पड़ा।
हाँ तो अब बात यह है कि एक दिन लड़के का मन भर गया। नकली समान चार दिन नहीं टिकता, तो नकली प्यार कितना टिकेगा? मन भर गया तो प्रेम मारपीट में बदल गया। बेल्टे-बेल्ट! लगभग रोज ही… एक दिन लड़के ने लड़की को खूब मारा। हाथ पैर बांध कर मारा… पूरे शरीर पर दाग हो गए तो दागों पर नमक छिड़क कर मारा… मिर्च पाउडर छिड़क छिड़क कर… यही वह प्रेम था जिसके लिए लड़की ने मां को छोड़ा था।
अभी रुकिये। जब घाव पर मिर्च पाउडर पड़ता तो लड़की चीख पड़ती थी। बताइये! कितनी बुरी बात है? कोई बेचारा प्रेम दिखा रहा है और आप चीख रहे हैं? उसे गुस्सा नहीं आएगा? उसे गुस्सा आया। उसने लड़की के होठों पर फेवीक्विक लगा दिया। होठ ही चिपक गए। अब चीखो… आवाजे नहीं निकलेगी ससुर! टेंशने खतम… वाह! मोहब्बत जिन्दाबाद…
खैर! लड़की हॉस्पिटल में है, और उसके जख्मों पर मरहम वही बूढ़ी माँ लगा रही है, जिसे उसने पुलिस के सामने बुरा बताया था। क्या करे, माँ है न।
लड़का जेल में है। जानते हैं पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा तब वह क्या कर रहा था? वह शराब की तस्करी कर रहा था। 93 हजार की अवैध शराब के साथ पकड़ा गया हीरो।
कहानी बहुत पुरानी नहीं है, न बहुत दूर की है। गूना मध्यप्रदेश में घटी इस घटना की पीड़िता 22 वर्ष की लड़की अभी अस्पताल में ही है, और पठान का बच्चा जेल में है।
इस पूरी कहानी में मेन विलेन कौन है जानते हैं? क्या वह लड़का? नहीं जी। वह तो प्यादा है। वह वही कर रहा था जो उसे सिखाया गया था। अब जेल में सड़ेगा कुछ दिन, फिर निकल कर कहीं मजूरी करेगा। बुरी वह लड़की भी नहीं। सिनेमा के नशे में डूबी उस मूर्ख को कभी लगा ही नहीं कि वह जाल में फँस गयी है। उसे विलेन क्या कहेंगे। विलेन हैं वे धूर्त, जो खुद को बुद्धिजीवी बताते हुए लिविंग रिलेशनशिप को जायज ठहराते हैं, जो इसके लिए माहौल बनाते हैं। विलेन हैं वे नीच, जो अंतर्धार्मिक विवाहों की पैरवी करते हैं पर ऐसी घटनाओं के समय चुप्पी साध लेते हैं। यही हैं वे बिके हुए लोग, जो मासूम बच्चों को इस भयानक दलदल में धकेलते हैं।
ऐसी घटनाओं की बार-बार, हजार बार चर्चा होनी चाहिये, ताकि यह देश की अंतिम लड़की तक पहुँचे। ऐसी घटनाओं की कोई खबर दिखे तो उसे हजार जगह शेयर कीजिये। यही एकमात्र उपाय है, यही एकमात्र विकल्प है।

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साभार -सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

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