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बिहार का जंगल राज:गैंगस्टर ही आरजेडी के कार्यकर्ता क्यो होते हैं ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
कल गलती से मैंने एक स्थान पर तेजस्वी की भाषा में कह दिया कि ‘जनता की सरकार’ है, जब एक साथी ने बिहार में हो रही हत्याओं पर चिंता व्यक्त की। दो चार लोग बैठे हुए थे। उसी में से एक व्यक्ति भड़क उठा। बोला पहले नहीं होती थी हत्याएं? पहले मुझे लगा था कि यहां कोई आरजेडी समर्थक नहीं है। पर मैं डर गया। मैं तुरंत उसकी बातों में हां कह दिया। मुझे ऐसा लगा मेरी जान बच गई। लड़का नौजवान था। ठीक-ठाक बेरोजगार भी था। मुझे लग गया कि तेजस्वी का वोटर है। और मैं अच्छी तरह जानता हूं तेजस्वी के हर वोटर को आरजेडी का कार्यकर्ता ही समझना चाहिए। और उस से डरना चाहिए। पता नहीं कब बंदूक निकाल कर एक कैप्सूल आपको डाल दे।

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बिहार में बेगूसराय जिला एनडीए सरकार से पूर्व अपराध जगत का एक सबसे स्थापित जिला रहा है। तेजस्वी की सरकार आई है तो खबर आती है कि बेगूसराय की सड़कों पर कई किलोमीटर तक इसलिए हवाई फायरिंग की गई कि लोगों में उभरते हुए गैंगस्टर के प्रति दहशत हो। फिर वैशाली से भी यही खबर आई। डेढ़ दशक पहले बिहार में हम सुनते थे लोग रफ टॉक में जनरली यूज करते है कि इतना गोली मारेंगे खोखा बिछने वाला करोड़पति हो जाएगा। खोखा मतलब बुलेट केस। पिछले दिनों खबर आई है कि किसी स्थान पर इतना खोखा पाया गया के पुलिस वाले गिनते गिनते थक गए।

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मैं आरंभ से ही इस बात को मजबूती से कह रहा हूं, आरजेडी की जब सत्ता आती है अपराध के लिए कोई अलग से लोग नहीं आते, बल्कि उनके ही कार्यकर्ताओं की बांछें खुल जाती है। कार्यकर्ता सबसे पहले बालू पर धावा बोलते हैं। टकराव होता है। गोलियां चलती हैं। कल बिहटा में हुआ। अब तो दूसरा रोजगार भी मिल गया है। शराब के काले बाजार का। और आरजेडी कार्यकर्ता बेस्ड पार्टी है। कार्यकर्ताओं को बचाना उनके लिए मजबूरी हो जाता है और अपराध चरम पर पहुंचते 5 वर्ष भी नहीं लगते। यहां पर भाजपा जैसी अनुशासन देखने को नहीं मिलती। कि एक बयान पर नूपुर शर्मा जैसे राष्ट्रीय प्रवक्ता को पार्टी से निकाल दिया गया। लखिमपुर में अभियोजक के कहने मात्र पर मंत्री के बेटे को जेल में डाल दिया गया। उत्तराखंड की अंकिता की हत्या का मामला सामने आते ही बाप बेटा दोनों को पार्टी से निकाल दिया गया। रिसोर्ट पर बुलडोजर चला दिये गये। आरजेडी के पास मजबूरियां है कि गैंगस्टर ही उसके कार्यकर्ता होते हैं। अथवा कह सकते हैं कि उसके कार्यकर्ता गैंगस्टर बन जाते हैं। जैसी सुविधा हो आप कहलें।

इस प्रकार के अपराध में राजनीतिक अपराध के ग्राफ बड़ी तेजी से उठते हैं। आज आरा जिला में भाजपा के स्थानीय नेता बबलू सिंह को सुबह सवेरे गोली मार दी गई। बिहार का जंगलराज गवाह रहा है कि जब भी अपराध का स्तर राजनीतिक हत्या तक पहुंच जाता है, अपराध जगत बड़ी तेजी से फलने फूलने लगता है। आज अफगानिस्तान के काबुल में बम ब्लास्ट हुआ। मृत्यु के ठीक बाद 100 स्कूली बच्चों के तत्काल मरने की खबर आई। घटना सुनते ही मुझे बिहार की याद आ गई। यहां भी सरकार बदलते इसी तरह का दहशत का माहौल बन गया है। बस अंतर इतना है कि यहां खुलकर कह भी नहीं सकते, हत्या पिछली सरकारों में उतनी नहीं होती थी जितनी अब हो रही है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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