Positive India:Rajesh Jain Rahi:
वक्त बुरा देखकर, जाने कहाँ छुप गए,
बात-बात पर रोज, शोर जो मचाते थे।
खून करने के लिए, गलियों में फिरते हैं,
खून दिया बोलकर, खूब इठलाते थे।
भूल गए व्यवहार, थूकते हैं यहाँ वहाँ,
नागरिक अच्छे हम, चीखते चिल्लाते थे।
करते हैं जलसे वे, मानते नहीं हैं बात,
धरने पे बैठकर, हक जतलाते थे।।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर