www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

भारत ने श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिलों के लिए शक्तियों के विकेंद्रीकरण की मांग की

Ad 1

Positive India,नयी दिल्ली, 9 फरवरी (भाषा)
भारत ने शनिवार को श्रीलंका सरकार द्वारा द्वीपीय देश में अल्पसंख्यक तमिलों के लिए शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने की मांग की। साथ ही, यह उम्मीद जताई कि समानता, न्याय और सम्मान पाने की उनकी आकांक्षाएं देश के संविधान के प्रावधानों के मुताबिक पूरी की जाएगी।
श्रीलंका के अपने समकक्ष महिंदा राजपक्षे के साथ व्यापक वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुद्दे पर खुल कर चर्चा की गई और आशा है कि तमिल सुलह प्रक्रिया कोलंबो द्वारा आगे बढ़ाई जाएगी।
वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद रोधी कार्रवाई को मजबूत करने, व्यापार एवं निवेश संबंधों के विस्तार, श्रीलंका में संयुक्त परियोजनाओं के क्रियान्वयन और मानवीय रुख के साथ काफी समय से लंबित मछुआरों के मुद्दे का हल करने जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की।
राजपक्षे ने अपनी टिप्पणी में मोदी सरकार की ‘पड़ोसी प्रथम की नीति’ के लिए और श्रीलंका के साथ संबंधों को उनके प्राथमिकता देने को लेकर उनका शुक्रिया अदा किया।
राजपक्षे की पांच दिनों की भारत यात्रा को अहम माना जा रहा है कि क्योंकि श्रीलंका के राष्ट्रपति के तौर पर 2005 से 2015 तक उनके कार्यकाल में हिेंद महासागर स्थित उनके द्वीपीय देश में चीन की उपस्थिति मजूबत हुई थी जिसने भारत की चिंताएं बढ़ा दी थी।
मोदी ने श्रीलंका के विकास में भारत के एक विश्वस्त साझेदार होने का जिक्र करते हुए कहा,श्रीलंका में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि भारत के साथ ही पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के हित में है।’’
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के विकास में भारत भरोसेमंद साझेदार’’ रहा है और वह श्रीलंका की शांति और विकास यात्रा में उसकी सहायता करना जारी रखेगा।
लंबे समय से लंबित तमिल मुद्दे पर मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि श्रीलंकाई संविधान के 13 वें संशोधन को लागू करने की जरूरत है।
तेरहवां संशोधन पड़ोसी देश में तमिल समुदाय के लिए शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने का प्रावधान करता है।
मोदी ने कहा, ‘‘हमनें श्रीलंका में सुलह से जुड़े मुद्दों पर बगैर किसी पूर्वाग्रह के साथ चर्चा की। मैं आश्वस्त हूं कि श्रीलंका की सरकार एकीकृत श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति के लिए तमिल लोगों की उम्मीदों को पूरा करेगी।’’
प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के लिए आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए श्रीलंका में पिछले साल ईस्टर के दिन हुए आतंकी हमलों का जिक्र किया और कहा कि दोनों देश इस चुनौती से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों देशों ने इस समस्या से दृढ़ता से लड़ा है। श्रीलंका में पिछले साल ईस्टर के दिन दुखद एवं बर्बर आतंकी हमले हुए थे।’’
उन्होंने कहा,ये हमले न सिर्फ श्रीलंका के लिए बल्कि मानवता के लिए भी एक झटका है। हमारी वार्ता में हमने आतंकवाद रोधी सहयोग मजबूत करने पर चर्चा की।
राजपक्षे ने कहा कि चर्चा का एक हिस्सा दोनों देशों की सुरक्षा सुनिश्चित सुनिश्चित करने के इर्द गिर्द केंद्रित रहा। उन्होंने श्रीलंका को आतंकवाद से लड़ने में मदद के लिए भारत का आभार जताया।
राजपक्षे ने कहा, ‘‘भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी और काफी पुराना मित्र है। करीबी ऐतिहासिक संबंधों ने हमारे संबंधों को मजबूत बुनियाद दी है।’’
मछुआरे के मुद्दे का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने इसका निपटारा करने के लिए एक मानवीय रुख अपनाने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा,हमने मछुआरों के मुद्दों पर भी चर्चा की। यह दोनों देशों के लोगों की आजीविका को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसलिए हम इस मुद्दे से निपटने के लिए एक रचनात्मक और मानवीय रुख अपनाने पर सहमत हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई हैं और पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद पहली विदेश यात्रा पर शुक्रवार को पांच दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री से मुलाकात की।

Gatiman Ad Inside News Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.