Positive India:Gajendra Sahu:
32,87,263 वर्ग किलोमीटर का भू भाग भारत है ?
या कश्मीर से कन्याकुमारी तक सीधी रेखा में गमन करती उत्तर से दक्षिण दिशा भारत है?
या गुजरात से अरुणाचल प्रदेश के समय में 2 घंटे का अंतर भारत है?
पूर्व से पश्चिम 2933 किलोमीटरऔर उत्तर से दक्षिण 3214 किलोमीटर मे फैला क्षेत्रफल भारत है?
या फिर अनेक पूजनीय नदिया, पर्वत, जंगल या फिर यहां पर बसे लोग, व्यापारी, किसान ,मजदूर, नेता , जनता… क्या यह भारत है ?
नही,,। यह सब मिलकर एक भारत हैं ।
ये वही भूमि है जिसे योद्धाओ ने अपने खूँन से सीचां है,,,,
ये गवाह है, कि कैसे विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा मातृभूमि की औलादो पर अत्यचार किये गए ।
कि कैसे यहाँ बादशाह , सुल्तान ,सम्राट , राजाओ ने राज किया और उनके द्वारा इतिहास रचा गया।
कि किस तरह मुगल ने अपने पराक्रम के दम पर यहाँ अपना राज स्थापित किया और लगभग 300 सालो तक राज किया,,
कि कैसे महाराणा प्रताप ने अपने शौर्य का लोहा मनवाया जिन्होने मुगलो के तलवार के सामने झुकने की बजाय उसका सामना किया,
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कि कैसे शिवाजी ने उस अदम्य साहस का परिचय दिया और उन्होने हिन्दू धर्म को बचाने का बीड़ा उठाया,,,,
कि कैसे व्यापारी के लिबास मे अंग्रजों ने इसे अपने जूते की नोक पर इसे कई वर्षो तक गुलाम बनाएं रखा,,,
कि किस तरह मातृभूमि के सपूतो ने अन्ग्रेज शासन को जड़ से उखाड़ फ़ेका और भारत माता को गुलामी की जंजीर से मुक्ति दिलाई,,,
ये वही धरा है जिसे आज दुनिया विश्व गुरु की नजरो से देखती है ।
यहाँ गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, विवेकानंद , शँकराचार्य जैसे दर्शन शास्त्रीयो ने जन्म लिया और दुनिया को नए धर्म और आध्यात्मिकता से जोड़ा।
यहाँ महात्मा गाँधी,भगत सिंग, चन्द्र शेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक,जवाहर लाल नेहरु, सरदार पटेल और न जाने अनेक महापूरषो की गौरव गाथा चित्रित है जो न कि भारत अपितु विश्व पटल पर प्रेरणादायक है।
शुन्य की खोज हो चाहे दशमलव, ये भारत द्वारा दी गई सबसे महत्वपूर्ण व अतिआवश्यक उपहार है विश्व के लिये।
न जाने कितने ज्ञाता , विज्ञाता, विद्वान , खगोल , कवि, उपन्यासकार , वेद-पुराण , ग्रंथ ,शास्त्र और भी आश्चर्यजनक इसी धरा मे विकसित हुए और आज विश्व को मार्ग प्रदान कर रहे है,,।
यह कठोर दिखने वाला भू-भाग कठोर नहीं बल्कि उस मां की ममता की तरह कोमल है जो अपनी ममता से इसमे रहने वाले सभी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी का लालन पालन पोषण करती है।
हजारो किमी तक प्रवाहित पूजनीय व जीवन दायनी गंगा , यमुना , नर्मदा , कृष्णा ,कावेरी ,गोदावरी जैसी अनेक नदियाँ है ,।
गगन को चूमती और अपने कोख मे खनिजो का अथाह भंडारण किये हिमालय ,शिवालिक, अरावली ,विन्ध्यचाल, सतपुड़ा, नंदीराज, नीलगिरि , कुद्रेमूख, महादेव जैसे और अनेक पर्वत है ।
अपनी सुन्दरता से मंत्रमुग्ध कर देने वाली और जीवन व्यापान मे सहायक अनके जंगल , वन है।
कई झीले , पठार , दार्शनिक स्थल , मन्दिर , परम्परा , सँस्कृति और भी बहुत कुछ है कि हम जितना जानेंगे उससे अधिक जानने की इच्छा होगी।
तो चलिए उस सफर पर कि कैसे एक भूभाग, एक राज्य , अनेक गाव, शहर , रियासते और उनमे रहने वाले लोग सभी मिलकर भारत बन गए ।।
लेखक:गजेन्द्र साहू-रायपुर।