Positive India:Raipur:21 March:
उपर लिखा शीर्षक दो बातो की पुष्टि करता है । पहला – *कोरोना से डरो ना* – मतलब आप बचाव के तरीके अपनाए और सुरक्षित रहे, जो सरकार द्वारा आपील और आम लोगो की सलाह का हिस्सा है । और दुसरा – *कोरोना से डरो ना* – मतलब अब बहुत हुआ , अब मनुष्य को डरना है, बहुत डरना है क्योंकि यह सीधे तौर पर मनुष्य जाति को प्रकृति की चुनौती है।
समय-समय पर प्रकृति ने भूकंप ,बाढ़, सुनामी , महामारी , स्वाईन फ्लू और न जाने कितने भयंकर प्रकोप के माध्यम से हमे संदेश दिया है कि प्रकृति का संतुलन बने रहने दो। इससे छेड़-छाड़ का नतीजा बहुत भयंकर होगा । पर मनुष्य जाति आदतन मजबूर है। वह मुश्किल वक़्त पर सही तो हो जाता है पर खतरा टलने के बाद फिर अपने निज स्वार्थ को ही प्राथमिकता देता है ।
लगातर पेड़ो और जंगलो की अन्धाधुँध कटाई, जमीन -पहाड़ो की छाती चीर कर, उससे उसकी शक्तियॉ छीन लेना , फैक्ट्रीयो और वाहनो के प्रदुषित हवा में सांस लेती जिँदगी से हम क्या कम परेशान थे कि मनुष्य जाति ने अपनी भूख मिटाने के लिये प्रकृति के दूसरे जीव-जन्तु को अपने भोजन का हिस्सा बना लिया । मनुष्य के इसी वहशीपन ने आज इस संकट को आमंत्रित किया है। अरे हम तो अभी एक-दुसरे के खिलाफ बम, मिसाईल बनाने मे उलझे थे और हम एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मे तीसरे विश्वयुद्ध की तैयारी कर रहे थे। पर इस बीच प्रकृति ने सम्पूर्ण मनुष्य जाति और विश्व के खिलाफ एलान-ए-जंग का शंखनाद कर दिया है।
शुरुवात मे इस बीमारी को हल्के मे लिया गया। इससे सम्बन्धित तथ्य छिपाए गए । अब जब यह विकराल रुप ले चुका है, तो इससे निजात पाना मुश्किल हो चुका है। यह सब से अलग है, बिल्कुल अलग । स्वाईन फ्लू , महामारी , बाढ़ जैसे किसी एक हिस्से को प्रभावित करती थी और जल्द से जल्द उससे निजात पा लेते थे। पर इस बार प्रकृति ने अपनी ओर से पूरी तैयारी कर रखी है। यह कहानी एक हिस्से से शुरू हुई और पूरा विश्व अब इसकी चपेट मे है और यकीनन इसका अन्त भयानक होगा । वो तस्वीर मनुष्य जाति को पूरी तरह से हिला कर रख देगी।
दु:ख की बात तो ये है कि लोगो ने इसे बहुत मजाकिया तौर पर लिया और दिन-रात सोशल मीडिया मे मजाक बनाया गया। लोगो मे जागरुकता की जगह धीरे-धीरे इस बीमारी ने ले ली। लोगो ने इसे तब सीरियस लिया जब ये मौत बनकर उनके दहलीज पर खड़ी हो गयी। अपनी मौत सामने देखकर लोगो ने भगवान के सामने हाथ फैलाए पर यहाँ भगवान ने भी मदद के लिये साफ -साफ इनकार कर दिया है । मन्दिर ,मस्जिद,चर्च सब का दरवाजा बन्द हो चुका है।अब मनुष्य आधुनिकता के भगवान मतलब डॉक्टर पर पूरी तरह से आस भरी निगाहो से देख रहे है।
लोग घर से बाहर नही निकल सकते, सारे विश्व मे हाहाकार मचा है, जिँदगी थम सी गई है। आज का जो मंजर है वो बहुत विचारणीय है जो सिर्फ फिल्मो मे देखने को मिलता है; जिसका हम 3 घन्टे आनंद लेते है। आज प्रकृति हमारे इस मंजर का आनंद ले रही होगी और हमारे लिये वह किसी फिल्म का यह डायलागॅ बोल रही होगी,,,।।
*तुम लोगो मे मौत का यह खौफ अच्छा लगा, यह खौफ होना चाहिये*
लेखक:गजेंद्र साहू उर्फ विक्की-रायपुर