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बंगाल में “खेला” होबे नहीं बल्कि “खेला” हो चुका

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
बंगाल में “खेला” होबे नहीं बल्कि “खेला” हो चुका है.😊
ममता बनर्जी की TMC की फौज “खेला होबे” नाम के स्टेशन पर हुड़दंग कर रही है। उसे सम्भवतः यह नहीं पता है कि बंगाल की राजनीति की पटरियों पर तेज गति से दौड़ रही चुनाव एक्सप्रेस “खेला होबे” स्टेशन को पार कर बहुत आगे निकल गई है और “खेला हो चुका” स्टेशन पर पहुंच चुकी है।

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प्रचण्ड मोदी विरोधी विरोधी वेबसाइट The Wire द्वारा लिया गया डॉ सज्जन कुमार का इंटरव्यू पिछले एक सप्ताह से सोशल मीडिया में धूम मचा रहा है। हालांकि The Wire ने इंटरव्यू में सज्ज्न कुमार से सीटों की संख्या नहीं पूछी लेकिन सितंबर से दिसंबर, लगभग 4 महीने तक बंगाल के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों में घूम कर चारों प्रमुख़ पार्टियों के कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और आम जनता से बात करने के साथ ही डॉ सज्जन कुमार और उनकी टीम ने सभी 294 सीटों की राजनीतिक सामाजिक चुनावी स्थिति की एक सर्वे रिपोर्ट भी तैयार की है। उस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भाजपा को बंगाल में पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है और ममता बनर्जी की TMC की भयंकर राजनीतिक, चुनावी दुर्गति होना तय है।.
डॉ सज्ज्न कुमार द्वारा किये गए बंगाल के चुनावी सर्वे के निष्कर्षों के अनुसार बंगाल की 294 सीटों में से भाजपा को 160 सीटें, TMC को 70 तथा वाम+ कांग्रेस+ फुरफुरा के गठबंधन को केवल 12 सीटें मिलने की बात कही गयी है। डॉक्टर सज्जन कुमार की रिपोर्ट के अनुसार शेष बची 52 सीटों में से 39 पर भाजपा और TMC के बीच, 5 सीटों पर TMC व वाम मोर्चे के बीच तथा 1 सीट पर भाजपा और वाम मोर्चे के बीच कांटे की टक्कर है। 7 सीटों पर भाजपा, TMC, वाम मोर्चे के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है।
ममता बनर्जी पर तथाकथित हमले के बाद, दूसरे दिन डॉक्टर सज्ज्न कुमार ने घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बंगाल में ममता बनर्जी विशेषकर उनकी सरकार और नेताओं के विरुद्ध जिस प्रकार की नफरत और क्रोध को मैंने अनुभव किया है, उसके आधार पर मेरा मानना है कि जिस प्रकार इस घटना पर उंगलियां उठ गई हैं उसके कारण इस घटना के बाद TMC के विरुद्ध नफरत और क्रोध में कमी आने के बजाय उसमें 4-5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
डॉक्टर सज्ज्न कुमार का यह आंकलन बिल्कुल सही है। चुनाव आयोग के पर्यवेक्षकों ने आज चुनाव आयोग को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी के घायल होने का कारण दुर्घटना को बताया है। दुर्घटना के समय ममता बनर्जी के साथ सुरक्षाकर्मियों की भारी भीड़ होने के प्रमाण अपनी रिपोर्ट में प्रस्तुत करते हुए पर्यवेक्षकों की टीम ने ममता बनर्जी पर किसी भी प्रकार के हमले की खबर को पूरी तरह गलत बताया है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व बंगाल पुलिस भी ममता पर हमले की बात को नकार चुकी है। आने वाले दिनों में यह दोनों रिपोर्टें ममता बनर्जी की चुनावी कठिनाइयों में और अधिक वृद्धि करने का कार्य करेंगी।
एक अन्य तथ्य भी उपरोक्त स्थिति की पुष्टि करता है।
ध्यान रहे कि किसी भी राजनेता की लोकप्रियता का चरम दर्शाने के लिए इस तरह के घटनाक्रम (घायल या बीमार होना) सबसे सटीक अवसर सिद्ध होते हैं। मुख्यमंत्री, विशेषकर ममता बनर्जी सरीखी मुख्यमंत्री की तो बात छोड़िए, मैंने किसी सामान्य विधायक, पार्षद यहां तक कि किसी चर्चित छात्रनेता के साथ हुई दुर्घटना या उसकी बीमारी की खबर पर उनके समर्थकों कार्यकर्ताओं की भीड़ को उस अस्पताल में उमड़ते हुए देखा है जिस अस्पताल में उन्हें भर्ती किया जाता था। अतः मुझे इसबात की पूरी उम्मीद थी कि ममता बनर्जी के सबसे मजबूत राजनीतिक किले कलकत्ता के उस अस्पताल में ममता बनर्जी के समर्थकों का भारी जनसैलाब उमड़ेगा जहां ममता बनर्जी को इलाज के लिए भर्ती किया गया है। लेकिन भारी जनसैलाब की तो बात छोड़िए, उस अस्पताल या उसके बाहर छोटी मोटी भीड़ भी इकट्ठा नहीं हुई। मैंने सारे न्यूजचैनलों को बहुत ध्यान से देखा लेकिन ऐसा कोई दृश्य मुझे नहीं दिखाई दिया।
यह कोई सामान्य घटनाक्रम नहीं है। कलकत्ता के उस अस्पताल और उसके इर्दगिर्द पसरा सन्नाटा चीख चीख कर सन्देश दे रहा है कि लोगों के मन में ममता बनर्जी के खिलाफ क्षोभ और आक्रोश की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)

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