
नक्सली खौफ के कारण आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर के पिता को नसीब नही हुआ समाज का कंधा
नक्सलियों के मौत देने का डर, अंतिम संस्कार से पीछा छुड़ाया ग्रामीण और समाज के लोगो ने।

Positive India:विशेष संवाददाता,अंबागढ़ चौकी;19 फरवरी 2021:
नक्सलियों के द्वारा दी जा रही मौत का ऐसा दहशत कि गांव के ग्राम प्रमुख और आत्म समर्पित नक्सली कमांडर के पिता को मौत के बाद समाज और गांव का कंधा तक नसीब नहीं हुआ।

विशेष:
पुलिस निगरानी में अंतिम संस्कार:-
नक्सली संगठन से नाता तोड़ते हुए आत्मसमर्पण के बाद भगत जाड़े नक्सलियों की हिटलिस्ट में है। सुरक्षागत कारणों से भारी सुरक्षा के बीच पुलिस ने अपनी मौजूदगी में ग्राम प्रमुख कारूराम जाड़े और आत्म समर्पित नक्सली कमांडर भगत जाड़े के पिता का दाह संस्कार कराया।
2012 में लौटा मुख्यधारा मे:-
नक्सली कमांडर रहते हुए भगत जाड़े ने 2012 में तत्कालीन एसपी डॉ संजीव शुक्ला के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। भगत जाड़े वर्तमान में जिला पुलिस बल का आरक्षक है जल्द ही उनके कंधे में 1 स्टार भी लगेगा। नक्सल मुहिम में पुलिस का भरपूर साथ देने के चलते महकमे ने उन्हें एक मामले में आउट आफ टर्न प्रमोशन दे दिया है ।
सामाजिक स्तर पर बहिष्कार:-
माना जा रहा है कि भगत जाड़े के मुख्यधारा में लौटने और पुलिस बल में शामिल होने के पश्चात नक्सली संगठन को काफी नुकसान पहुंचा है। इसी से बौखलाए नक्सलियों ने जाड़े परिवार को सामाजिक स्तर पर घेरते हुए समाज को दूर रहने की हिदायत दी आखिरकार समाज व गांव ने भी नक्सलियों के भय से कांधा देने से किनारा कर लिया।
दहशत ऐसा की अंतिम संस्कार और रस्म एक ही दिन:-
ग्राम प्रमुख और आदिवासी समाज में बड़ा नाम कारूराम जाड़े के मौत उपरांत नक्सल संगठन का दशक ऐसा कि एक ही दिन में मिट्टी ,तीजनाहवन और दूसरे रस्म अदा करते हुए जाड़े परिवार ने अपने कर्तव्यों का इतिश्री की।
-अंबागढ़ चौकी से विशेष संवाददाता की रिपोर्ट-