www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

नक्सली खौफ के कारण आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर के पिता को नसीब नही हुआ समाज का कंधा

नक्सलियों के मौत देने का डर, अंतिम संस्कार से पीछा छुड़ाया ग्रामीण और समाज के लोगो ने।

Ad 1

Positive India:विशेष संवाददाता,अंबागढ़ चौकी;19 फरवरी 2021:
नक्सलियों के द्वारा दी जा रही मौत का ऐसा दहशत कि गांव के ग्राम प्रमुख और आत्म समर्पित नक्सली कमांडर के पिता को मौत के बाद समाज और गांव का कंधा तक नसीब नहीं हुआ।

कारूराम जाड़े का परिवार
उल्लेखनीय है कि मानपुर विकासखंड से महज 7 किलोमीटर दूर सहपाल-बसेली के बाशिंदे आत्म समर्पित नक्सली कमांडर भगत जाड़े के पिता कारूराम जाड़े की तीन दिन पहले बीमार हालत मे मौत हो गई। मौत के बाद अंतिम संस्कार में नक्सलियों के दहशत के चलते समाज और पूरा गांव अंतिम संस्कार से किनारा कर लिया। बताया गया कि स्वर्गीय कारूराम जाड़े कि मानपुर इलाके के आदिवासी समाज में तूती बोलती थी। अंदरूनी इलाके में आदिवासी समाज और क्षेत्र में उनका एक अलग ही दबदबा था।बेटा भगत जाड़े करीब 10 साल पहले हथियार छोड़कर नक्सल विचारधारा से बाहर निकलकर मुख्यधारा में लौटे थे। भगत जाड़े ने नक्सलियों के डीवीसी रैंक में रहते हुए माओवादी संगठन से नाता तोड़ लिया। राज्य सरकार की नक्सल पुर्नवास नीति के चलते उन्हें पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर नियुक्त किया गया, तभी से परिवार नक्सलियों के निशाने पर है। माओवादी संगठन की ओर से जाड़े परिवार के साथ किसी भी तरह का ताल्लुक रखने के दबाव बनाने के बाद जाड़े परिवार के साथ मानपुर इलाके के आदिवासी नेताओं को हिदायत मिली। नक्सली दहशत के चलते परिवार के साथ आदिवासी समाज ने नाता तोड़ लिया है। 3 दिन पहले आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर भगत जाड़े के पिता की मृत्यु होने के बाद दाह संस्कार में शामिल होने से समाज ने दूरी बना ली। इसके साथ ही आसपास के गांव के लोग को किसी भी तरह का सहयोग नहीं करने कि चेतावनी दी गई। पुलिस की निगरानी में आखिरकार जाड़े परिवार के गिने-चुने लोगों ने दहशत के बीच अंतिम संस्कार की।

Gatiman Ad Inside News Ad

विशेष:

Naryana Health Ad

पुलिस निगरानी में अंतिम संस्कार:-
नक्सली संगठन से नाता तोड़ते हुए आत्मसमर्पण के बाद भगत जाड़े नक्सलियों की हिटलिस्ट में है। सुरक्षागत कारणों से भारी सुरक्षा के बीच पुलिस ने अपनी मौजूदगी में ग्राम प्रमुख कारूराम जाड़े और आत्म समर्पित नक्सली कमांडर भगत जाड़े के पिता का दाह संस्कार कराया।

2012 में लौटा मुख्यधारा मे:-
नक्सली कमांडर रहते हुए भगत जाड़े ने 2012 में तत्कालीन एसपी डॉ संजीव शुक्ला के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। भगत जाड़े वर्तमान में जिला पुलिस बल का आरक्षक है जल्द ही उनके कंधे में 1 स्टार भी लगेगा। नक्सल मुहिम में पुलिस का भरपूर साथ देने के चलते महकमे ने उन्हें एक मामले में आउट आफ टर्न प्रमोशन दे दिया है ।

सामाजिक स्तर पर बहिष्कार:-
माना जा रहा है कि भगत जाड़े के मुख्यधारा में लौटने और पुलिस बल में शामिल होने के पश्चात नक्सली संगठन को काफी नुकसान पहुंचा है। इसी से बौखलाए नक्सलियों ने जाड़े परिवार को सामाजिक स्तर पर घेरते हुए समाज को दूर रहने की हिदायत दी आखिरकार समाज व गांव ने भी नक्सलियों के भय से कांधा देने से किनारा कर लिया।

दहशत ऐसा की अंतिम संस्कार और रस्म एक ही दिन:-
ग्राम प्रमुख और आदिवासी समाज में बड़ा नाम कारूराम जाड़े के मौत उपरांत नक्सल संगठन का दशक ऐसा कि एक ही दिन में मिट्टी ,तीजनाहवन और दूसरे रस्म अदा करते हुए जाड़े परिवार ने अपने कर्तव्यों का इतिश्री की।
-अंबागढ़ चौकी से विशेष संवाददाता की रिपोर्ट-

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.