Positive India:Raipur:
हाल में संपन्न अंतरराष्ट्रीय आदिवासी नृत्योत्सव व राज्योत्सव में कोंडागांव के हर्बल्स उत्पादों ने जबरदस्त धूम मचाई। अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्योत्सव तथा प्रदेश के राज्य स्थापना महोत्सव के अवसर पर राजधानी रायपुर में चार दिवसीय भव्य प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में कृषि विभाग के गुंबद में उद्यानिकी के स्टॉल पर बस्तर के मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के किसानों द्वारा विशुद्ध जैविक पद्धति से उगाए गए तथा कोंडागांव बस्तर की महिला समूहों द्वारा तैयार किए गए “एमडी बॉटनिकल्स” के ब्रांड नाम से “सर्टिफाइड-ऑर्गेनिक” हर्बल्स , मसाले, औषधीय चावल आदि विभिन्न प्रकार के कुल 32 उत्पाद प्रदर्शित किए गए। इसमें मुख्य रूप से सफेद मूसली की जड़ों का पाउडर, सफेद मुसली के कैप्सूल, बस्तर की काली मिर्च, काली मिर्च पाउडर, अश्वगंधा चूर्ण, मोरिंगा पाउडर, औषधीय गुणों से भरपूर जैविक काला चावल, डायबिटीज के रोगियों लिए तथा मोटापे से छुटकारा पाने का रास्ता तलाश रहे लोगों के लिए विशेष उपहार के रूप में शक्कर से पच्चीस गुनी ज्यादा मीठी फिर भी “जीरो कैलोरी” मिठास वाली स्टीविया की पत्तियां तथा इसकी पत्तियों का पाउडर,हर्बल क्वाथ, ओरिजिनल बस्तरिया औषधीय हल्दी आदि उत्पादों की प्रदर्शनी में आने वाले गणमान्य अतिथियों तथा दर्शकों के द्वारा मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई। बस्तर के अनोखे उत्पादों का प्रदर्शन करने वाली टीम का नेतृत्व कर रही एम डी बोटानिकल्सकी सीईओ अपूर्वा त्रिपाठी ने बताया कि यह सारे प्रोडक्ट बस्तर की धरती पर स्थानीय किसानों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप जैविक खेती से पैदा किए गए हैं तथा इनका प्रसंस्करण भी अंतरराष्ट्रीय जैविक मापदंडों के अनुरूप प्रशिक्षित स्थानीय महिला समूहों के द्वारा किया गया है। इन उत्पादों के लिए “विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO )” का जीएमपी प्रमाण पत्र तथा “वैश्विक जैविक प्रमाण पत्र” सहित सभी आवश्यक शासकीय, अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं, जिससे कि छत्तीसगढ़ के ये उत्पाद यूरोप अमेरिका सहित विश्व के प्रमुख देशों में के बाजारों में अपनी सशक्त पैठ बना कर छत्तीसगढ़ भारत का परचम वैश्विक बाजार में लहरा सकते हैं। अपूर्वा त्रिपाठी ने इन उत्पादों की कुछेक विशेषताओं के बारे में बताया कि यह सभी उत्पाद न केवल शत प्रतिशत जैविक पद्धति से उगाये गए हैं, बल्कि उनका प्रसंस्करण भी अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मापदंडों के अनुरूप किया गया है तथा इनकी पैकिंग भी विशुद्ध जैविक तथा बायोडिग्रेडेबल है। यह सारे प्रोडक्ट “बौद्धिक संपदा अधिकार अधिनियम” के तहत पेटेंट कराए गए हैं, यहां तक की इसकी पैकिंग पर प्रयुक्त होने वाली खूबसूरत परंपरागत आदिवासी पेंटिंग की डिजाइन भी पेटेंट कराई गई है, ताकि इसकी नकल न की जा सके। अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार विशेषज्ञ एडवोकेट अपूर्वा का कहना है कि उनका मूल लक्ष्य यही है कि जैविक खेती तथा औषधि पौधों के परंपरागत ज्ञान के बौद्धिक संपदा अधिकार का अधिकतम लाभ इसके वास्तविक अधिकारी बस्तर के आदिवासी समुदाय को हर हाल में मिले। दरअसल “एमडी बोटैनिकल्स” हर्बल किंग के नाम से विख्यात हर्बल खेती विशेषज्ञ डॉ. राजाराम त्रिपाठी द्वारा स्थापित बस्तर में विगत तीन दशकों से ज्यादा समय से जैविक पद्धति से दुर्लभ औषधीय, सुगंधीय पौधों की खेती में कार्यरत संस्थान “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” की ही विस्तारित एक स्वतंत्र शाखा है, जोकि बस्तर छत्तीसगढ़ के उत्पादों को देश राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में सम्मानजनक स्थान दिलाने हेतु कृत संकल्प है। अपूर्वा ने छत्तीसगढ़ शासन ,कोंडागांव जिला प्रशासन तथा विशेष रूप से उद्योग, कृषि व उद्यानिकी विभाग को धन्यवाद देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय नृत्य उत्सव तथा राज्योत्सव की प्रदर्शनी में शासकीय मंच पर बस्तर के जनजातीय उत्पादों को समुचित प्रदर्शन का मौका देने से निश्चित रूप से ऐसे नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा, इससे प्रदेश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा लोगों के आमदनी में भी वृद्धि होगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार तथा प्रदेश सरकार द्वारा भी औषधि खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य कई योजनाएं व प्रयास शुरू किए गए हैं,जिनके कमोबेश लाभ भी मिलने की शुरू हो गए हैं। किंतु इन योजनाओं से आदिवासी समुदाय को प्रभावी रूप से जोड़ना होगा तभी तेजी से बढ़ रहे वैश्विक हर्बल बाजार में हम विश्व हर्बल गुरु के रूप में स्थापित हो पाएंगे।
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