Positive India: By Rajesh Jain Rahi:
बस्तर में हो रही हिंसक घटनाओं की घोर निंदा करते हुए संवेदना की कुछ पंक्तियां….
खून फिर बिखरा है, हरियाली लाल हुई,
खिले हुए पुष्प पर, शूल का बसेरा है।
पंछियों के घोसलों में, गोलियों के खोल मिले,
दबे पाँव घुस आया, कौन ये लुटेरा है।
शब्द फिर रटे हुए, बनके बयान आए,
दीप के तले ही राज, करता अँधेरा है।
कोई कहे अच्छे दिन, कोई कहे बदलाव,
कोई मुझे बतलाए, कैद क्यों सबेरा है।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर