पॉजिटिव इंडिया:कोलकाता, 29 अगस्त ;
(भाषा) प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों का एक गुट 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस पर बने वृत्तचित्र ‘राम के नाम’ को प्रदर्शित करने के मुद्दे पर आमने-सामने हैं।
प्रशासन की ओर से वृत्तचित्र को सभागार में प्रदर्शित करने की मंजूरी नहीं देने के बाद छात्रों ने बुधवार को ऐलान किया कि वे इस वृत्तचित्र का प्रदर्शन विश्वविद्यालय परिसर में खुले में करेंगे।
छात्रों के प्रवक्ता सयान चक्रवर्ती ने बताया कि जब छात्र मंगलवार को वृत्तचित्र को विश्वविद्यालय के सभागार में दिखाने की मंजूरी लेने के लिए डीन ऑफ स्टुडेंट्स अरुण मैती से मिलने गए तो उन्होंने इजाजत देने से मना करते हुए मौखिक रूप से कहा कि ऐसी फिल्मों को दिखाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।चक्रवती के मुताबिक मैती ने छात्रों से इसके बदले गैर राजनीतिक फिल्म प्रदर्शित करने को कहा। इसके बाद छात्रों ने आनंद पटवर्धन के इस वृत्तचित्र ‘राम के नाम’ को प्रदर्शित करने की प्रतिबद्धता जताई।
छात्र आयोजन समिति की ओर से चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हम 30 अगस्त को विश्वविद्यालय परिसर के बरामदे में फिल्म का प्रदर्शन करेंगे जहां पहले भी धरना-प्रदर्शन् और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती रही है।छात्रों ने कहा कि पहले वृत्तचित्र को सोमवार 26 अगस्त को विश्वविद्यालय सभागार में प्रदर्शित करने की योजना थी, लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी गई। इसके बाद मंगलवार को एक बार फिर छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क किया लेकिन दोबारा उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया।
मैती ने मंगलवार को कहा कि संस्थान को अभी भी इस बात की पुष्टि करनी है कि छात्रों ने सभागार में फिल्म प्रदर्शित करने की मंजूरी के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया अथवा नहीं।वृत्तचित्र ‘राम के नाम’ में बाबरी मस्जिद की जगह पर राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद के अभियान और उसके बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा की जानकारी है।
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