अयोध्या में जय श्री राम के बाद अब बनारस में हर-हर महादेव !
- दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
अयोध्या में जय श्री राम के बाद आज बनारस में हर-हर महादेव हो गया। मैं क़ानून का विद्यार्थी नहीं हूं लेकिन अनुभव के आधार पर इतना तो जानता ही हूं कि अदालत में अगर कोई याचिका एडमिट हो जाती है तो मुकदमा जीतना मात्र औपचारिकता ही होती है। थोड़ा नहीं , पूरा समय लगता है लेकिन देर-सवेर विजय मिलती ही है। इसी लिए हार रहा पक्ष अमूमन मेनटेनेबिलिटी का नगाड़ा बजता फिरता रहता है। अगर जज पट जाता है तो कई बार रिट मेनटेनेबिल होते हुए भी एडमिट नहीं होती। पर काशी में जज न तो पटा पाए लोग , न जज सेक्यूलरिज्म की रतौंधी का शिकार हुआ। कांग्रेस का वर्शिप ऐक्ट धूल चाट गया।
अब चाहे जितनी और जैसी यात्राएं कर ले कांग्रेस , इस सदी में उसे सत्ता नहीं मिलने वाली। सत्ता की शहद का स्वाद उसे नहीं मिलने वाला। क्यों कि काशी भी अयोध्या की राह चल पड़ी है। मामला स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा। समय लगेगा। पर न्याय की गंगा हिमालय से चल पड़ी है। फिर हम सब जानते ही हैं कि नदी जब चल पड़ती है तो किसी के रोके नहीं रुकती है। जिस भी तरफ चल पड़ती है , रास्ता बन जाता है। मंथरा का यह संवाद कोई नृप होई हमें का हानि ! की कुटिलता आज फिर ध्वस्त हो गई। नृप से बहुत फ़र्क पड़ता है।
भारतीय संस्कृति और हिंदू देवी देवताओं को अपमानित और लांछित करने की प्रवृत्ति अगर नहीं होती एक समुदाय द्वारा तो शायद यह दिन आज देखने को नहीं मिलता। शिव लिंग को वजू खाने में अभी भी उपस्थित रख कर रोज उस पर थूकने और हाथ-पांव धो कर अपमानित करने की प्रवृत्ति ने शिवलिंग को प्रमाण बना दिया और बात बहुत आगे बढ़ गई। कबीर कह ही गए हैं :
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
अब से सही एक समुदाय अपनी पूर्व की गलतियों को स्वीकार कर चीज़ों को ठीक कर ले। सोच-विचार कर आक्रमणकारी प्रवृत्ति , ज़िद और सनक से छुट्टी ले ले। ताकि समाज में आपसी सद्भाव बना रहे। सत्यम , शिवम , सुंदरम की परिकल्पना ही भारतीयता की पहचान है। लोक कल्याण ही अभीष्ट है।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा,
पितु मात स्वामी सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)