Positive India:Rajesh Jain Rahi:
तात के विचार पर, गुरुवर की मुहर,
अवध के राजा अब, राम होने जा रहे।
सुनते ही ये खबर, खुशी की उठी लहर,
सुर नर मुनि-जन, गीत मीठे गा रहे।
मात कौशल्या का मन, भाव में मगन हुआ,
बार बार नयनों में, अश्रु-जल आ रहे।
नियति के काले मेघ, साजिशों को साथ लेके,
हाय मंथरा के काले, मन पर छा रहे।
स्थिति आज भी वही है- मंथरा ने नाम बदल लिया है। (वैसे मैं किसी का नाम नहीं ले रहा 😀)
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर(ये लेखक के अपने विचार हैं)