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क्या तुष्टिकरण की पराकाष्ठा ही धर्म निरपेक्षता है ?

वोट के लालच मे इन लोगो को बांग्लादेशी मुसलमान मंजूर है ,इनहे रोहिंगया भी मंजूर है । पर इन लोगो मे से कोई एक बंदा नही निकला कि काश्मीर के पंडितो के लिए आवाज उठाता.