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चिरयौवना अयोध्या की अधिष्ठात्री देवी अयोध्या को प्रणाम कीजिए !

अयोध्या है कौन जिस के नाम पर यह नगर अयोध्या बसा? नहीं जानते तो पढ़िए कभी कालिदास लिखित रघुवंशम् । तो पता चलेगा कि अयोध्या एक स्त्री का नाम है।

इस बार केवल एक मन्दिर में देव की प्राणप्रतिष्ठा ही नहीं हो रही। यह युगपरिवर्तन का…

मनुष्य ईश्वर की प्राणप्रतिष्ठा कैसे कर सकता है? बकवास प्रश्न है यह। मनुष्य मूर्ति में ही नहीं, सृष्टि के कण कण में देवता को देख सकता है, पर इसके लिए हृदय में श्रद्धा होनी चाहिये।

चंदखुरी के फुटहा मंदिर के खंडहरों की खामोशियों को सुनिए। वे राम कथा सुनाती हैं

फुटहा मंदिर आठवीं शताब्दी का है, और तुलसीदास जी यही कोई 500 बरस हुए। फुटहा मंदिर में राम कथा के प्रसंग उत्कीर्ण हैं। अर्थ यह हुआ कि तब लोग न केवल राम को जानते थे, बल्कि रामकथा भी जानते थे।

अरे ये तो हमारे प्रभु हैं! अरे हमारे प्रभु श्री राम आ गए!!

चौदह वर्षों की प्रतीक्षा पूरी हुई थी, प्रसन्नता अश्रु बन कर सबकी आंखों से झरने लगी। रुंधे गले से चिल्ला कर निषादराज ने कहा, "सभी अयोध्या चलने की तैयारी करो, प्रभु वहीं जा रहे हैं..."

अखिलेश को नहीं मालूम कि भाजपा ने मंडल और कमंडल की दूरी को ख़त्म कर दोनों को एक कर दिया…

सैकड़ो स्वामी प्रसाद मौर्य और ओमप्रकाश राजभर अखिलेश के साथ चले जाएं। मंडल-कमंडल अब अलग होते नहीं दीखते। फेवीकोल का जोड़ लग गया है।